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Air India: एयर इंडिया का मालिकान टाटा या स्पाइस जेट, फैसले के करीब सरकार

Updated Sep 30, 2021 | 09:43 IST

एयर इंडिया की खरीद के लिए टाटा ग्रुप और स्पाइस जेट की तरफ से बोली लगाई है। इस बीच सरकार ने मिनिमम रिजर्व प्राइस को तय कर दिया है।

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टाटा या स्पाइस जेट किसका होगा एयर इंडिया,फैसले के करीब सरकार
मुख्य बातें
  • एयर इंडिया की खरीद प्रक्रिया में टाटा समूह और स्पाइस जेट शामिल
  • एयर इंडिया की खरीद प्रक्रिया के संबंध में सरकार की तरफ से मिनिमम रिजर्व प्राइस तय
  • एयर इंडिया पर 23 हजार करोड़ रुपए का कर्ज

एयर इंडिया किसका होगा। इस सवाल का जवाब हर कोई जानना चाहता है। इन सबके बीच खबर आ रही है कि टाटा ग्रुप या स्पाइस जेट राष्ट्रीय विमानन कंपनी के दावेदारी पर अंतिम मुहर लग सकती है। सरकार ने टाटा समूह और स्पाइसजेट के संस्थापक अजय सिंह-एयर इंडिया की बिक्री के लिए बोली लगाने वालों में से विजेता चुना है। यहां तक ​​कि एक आरक्षित मूल्य पर भी फैसला किया है हालांकि इसके औपचारिक ऐलान का इंतजार है। 

सरकार जल्द बिडर के नाम का कर सकती है ऐलान
इकोनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सरकार उस बिडर के नाम की घोषणा कर सकती है हालांकि समय और तारीख के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है। टाटा समूह के प्रतिनिधि और स्पाइस जेट ने सौदे में लगे सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की। लेकिन सरकारी और बोली लगाने वाली दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहने से इनकार किया। नेशनल एयर लाइन करियर के मूल्यांकन पर एक प्रस्तुति मंगलवार को की गई थी और सचिवों की समिति (सीओएस) ने एयरलाइन के आरक्षित मूल्य पर चर्ा भी की थी। 

टाटा समूह के हाथ जा सकती है डील
रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा समूह के हाथ में यह डील जा सकती है क्योंकि उसकी तरफ से बोली की कीमत ज्यादा थी। माना जाता है कि टाटा समूह किसी भी रूप में डील हाथ से ना निकले इसके लिए अपनी बोली में क्षतिपूर्ति खंड शामिल किए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि विस्तारा, एयरएशिया इंडिया, टाटा स्टील और इंडियन होटल्स के विलय विशेषज्ञों सहित 200 से अधिक टाटा अधिकारियों को टाटा संस मर्जर एंड एक्विजिशन (एमएंडए) टीम के अलावा इस प्रक्रिया का हिस्सा माना जाता है।

डील को अंजाम तक पहुंचाने की दूसरी कोशिश
सरकार द्वारा एयरलाइन से 76 फीसद हिस्सेदारी को बेचने  की दिशा में यह दूसरा प्रयास है । पहली बार बिडर्स के साथ सरकारी कोशिश इसलिए नाकाम हो गई क्योंकि सरकार एयरलाइन में 26 फीसद हिस्सेदारी बनाए रखना चाहती थी। एयर इंडिया की विनिवेश योजना के तहत, एयरलाइन को उसके 23,000 करोड़ रुपये के कर्ज के साथ एक निजी मालिक को हस्तांतरित करने की योजना है।  योजना में शेष ऋण को सरकारी स्वामित्व वाली एयर इंडिया एसेट्स होल्डिंग्स लिमिटेड (एआईएएचएल) को हस्तांतरित करना शामिल है। एक नई कंपनी जो वाहक की संपत्ति जैसे मुंबई में एयर इंडिया की इमारत, दिल्ली में एयरलाइंस हाउस, दिल्ली के कनॉट प्लेस में जमीन और विभिन्न दिल्ली और अन्य शहरों में अन्य हाउसिंग सोसाइटी।

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