- एयर इंडिया तथा एयर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में 146 विमान हैं। इनमें से 82 विमानों का मालिकाना हक एयर इंडिया के पास है।
- टाटा संस को एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी।
- दोनों कंपनियों के पास कुल 17984 कर्मचारी हैं। इसमें से 9617 स्थाई कर्मचारी हैं।
नई दिल्ली: करीब तीन साल की मशक्कत के बाद आखिरकार मोदी सरकार एयर इंडिया को बेचने में सफल हो गई है। कंपनी को टाटा संस ने 18000 करोड़ रुपये में खरीदा है। टाटा को मालिकाना हक मिलने के बाद एक तरह से एयर इंडिया की घर वापसी हुई। क्योंकि 68 साल पहले, भारत सरकार ने टाटा से ही उसे खरीदा था। इसलिए रतन टाटा ने आज हुई डील के बाद एयर इंडिया को लेकर वेलकम बैक कहा है। इस डील के साथ भारतीय एविएशन सेक्टर में टाटा ग्रुप की इंडिगो के बाद दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी हो जाएगी। इस डील से टाटा को न केवल एयर इंडिया के विमान मिलेंगे, बल्कि उसे 98 घरेलू और विदेशी स्थानों की फ्लाइट के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी मिलेगा। साथ ही भारत और विदेश में स्थित प्रॉपर्टी भी मिलेगी। इसके साथ ही कंपनी के 17984 कर्मचारी भी अब टाटा के होंगे और करीब 23 हजार करोड़ रुपये की कर्ज देनदारी भी टाटा के जिम्मे आ सकती है।
क्या है डील
टाटा संस को एयर इंडिया और उसकी सहायक कंपनी एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी। और इसके आलावा संयुक्त उद्यम के तहत कार्गो कंपनी एआईएसएटीएस में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी, उसे मिलेगी। एयर इंडिया एक्सप्रेस में एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी है। वह लो कॉस्ट इंटरनेशनल रूट पर सेवाएं देती है। संपत्ति के रूप में दिल्ली, मुंबई हवाई अड्डों पर जमीन और भवन तथा कॉपोरेट कार्यालय हैं। इसके अलावा एयर इंडिया के लोगो टाटा को ट्रांसफर हो जाएंगे। जिसे वह 5 साल बाद किसी भारतीय को बेच सकेगा।
बेडे़ में हैं 146 विमान
एयर इंडिया के विनिवेश योजना को जनवरी 2020 में पेश करते हुए तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी ने बताया था कि एयर इंडिया तथा एयर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में 146 विमान हैं। इनमें से 82 विमानों का मालिकाना हक एयर इंडिया के पास है। उनके अनुसार एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के विमानों की औसत आयु 8 वर्ष हैं। एयर इंडिया के पास 27 बोईंग- 787 विमान 5 वर्ष पुराने हैं और 27 एयर बस- 320 नियो (सीएफएम इंजन) 2 वर्ष पुराने हैं। भारतीय विमान सेवाओं में भारत से आने-जाने वाली अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं में एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस की भागीदारी लगभग 51 प्रतिशत है। वैश्विक विमान सेवाओं में (भारत से अलग) भारत की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है। उनके अनुसार एयर इंडिया 56 घरेलू तथा 42 अंतरराष्ट्रीय स्थानों के साथ 98 स्थानों को कवर करती है। एयर इंडिया कोड शेयर ऑपरेशन के सेकेंडरी नेटवर्क के माध्यम से 75 अतिरिक्त स्थानों को भी कवर करती है।
तीसरी बार में सफल हुई सरकार
कंपनी के ऊपर करीब 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। जिसकी वजह से सरकार के लिए उसे चलाना संभव नहीं हो रहा थी। इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने सबसे पहले 2018 में एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई थी। लेकिन उन शर्तों पर किसी भी कंपनी ने एयर इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने में रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद जनवरी 2020 में सरकार ने 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया। लेकिन मार्च तक किसी कंपनी ने खरीदारी की रुचि नहीं दिखाई। उस वक्त कोरोना की वजह से एविएशन इंडस्ट्री का बुरा हाल थी। इसके बाद अब सितंबर में जाकर टाटा संस और स्पाइसजेट ने बोली लगाई। और अंत में टाटा संस ने बाजी मारी। जनवरी 2020 में सरकार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, एयरलाइंस को खरीदने वाली कंपनी को 23,286 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना होगा। बाकी के कर्ज को सरकारी कंपनी एअर इंडिया एसेट होल्डिंग्स (AIAHL) को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
कर्मचारियों का क्या होगा
एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के पास कुल 17984 कर्मचारी हैं। इसमें से 9617 स्थाई कर्मचारी हैं। लगभग 36 प्रतिशत स्थाई कर्मचारी साल 2025 तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे। एआईएसएटीएस में संविदा कर्मचारियों की संख्या 11958 है और 399 कर्मचारी एयर इंडिया तथा अन्य सहायक कंपनी की ओर से तैनात किए गए हैं। यह सभी कर्मचारी टाटा के हो जाएंगे। कर्मचारियों के पास वीआरएस का भी विकल्प होगा। पिछले बकायों पर न्यायमूर्ति धर्माधिकारी आयोग की सिफारिशों के रूप में कर्मचारियों की 1383.70 करोड़ रुपये की बकाया राशि का भुगतान प्रस्तावित इंडिया एसेट होल्डिंग लिमिटेड (एआईएएचएल) द्वारा किया जाना है।
टाटा की विस्तारा और एयर एशिया का क्या होगा
एयर इंडिया और एअर इंडिया एक्सरप्रेस को खरीदने का बाद यह भी सवाल उठता है कि टाटा संस एयर एशिया इंडिया और विस्तारा कंपनियों को लेकर आगे क्या रणनीति बनाएगी। क्योंकि वह इन दोनों एयरलाइंस को पहले ही चला रही है। जाहिर है कंपनी ने इसके लिए पहले से ही कोई प्लान तैयार किया होगा। क्योंकि बिजनेस रूल के अनुसार एक ही ग्रुप की कंपनियां आपस में प्रतिस्पर्धा शायद ही करें।
अभी सबसे बड़ा प्लेयर इंडिगो
इस डील के बाद भी इंडिगो एयरलाइंस भारत में सबसे बड़ी एयर लाइन कंपनी रहेगी। सिविल एविएशन सेक्टर पर आईबीईएफ की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2020 में इंडिगो की भारतीय बाजार में 47.9 फीसदी, स्पाइस जेट की 16 फीसदी, एयर इंडिया की 11.8 फीसदी, गो एयर की 9.9 फीसदी और विस्तारा की 6.6 फीसदी हिस्सेदारी थी।