- टेलीकॉम कंपनियों पर एजीआर बकाये को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई
- सुप्रीम कोर्ट ने टेलकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दे ही है
- सुप्रीम कोर्ट ने बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया, चूक होने पर जुर्माना लगेगा
AGR dues : सुप्रीम कोर्ट ने आज (01 अगस्त) टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 31 मार्च 2021 तक समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) का 10% चुका दें और शेष बकाया 1 अप्रैल 2021 से लेकर 10 वर्षों के बीच चुकाएं। जस्टिस अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बैंच ने कहा कि भुगतान 31 मार्च, 2031 तक किस्तों में किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी कंपनियों को दूरसंचार विभाग (DoT) को एजीआर से संबंधित बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है। दूरसंचार कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए यह समय कुछ शर्तों के साथ दिया गया है। शीर्ष कोर्ट ने इसके साथ ही मंगलवार को दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का 10% बकाया 31 मार्च, 2021 तक चुकाने का निर्देश दिया।
फैसले के अनुसार, टेलकॉम कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार एजीआर बकाया का भुगतान करने के लिए अंडरटेकिंग्स सबमिट करने की आवश्यकता है और भुगतान में चूक से ब्याज के साथ जुर्माना भी लिया जाएगा और अदालत की अवमानना भी मानी जाएगा। साथ ही, शीर्ष अदालत ने कहा कि DoT की डिमांड, AGR से संबंधित बकाये पर यह फैसला अंतिम है।
टेलकॉम ऑपरेटरों का कुल बकाया करीब 1.6 लाख करोड़ रुपए है। पिछले साल अक्टूबर में शीर्ष अदालत ने लाइसेंस शुल्क, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और अन्य देनदारियों के मामले में दूरसंचार कंपनियों के बकाये की गणना करने का फैसला दिया था। शीर्ष अदालत ने एनसीएलएटी (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल) को यह तय करने को कहा था कि क्या दिवालिया कंपनियों का स्पेक्ट्रम दिवाला कार्यवाही का हिस्सा हो सकता है।
बैंच ने दूरसंचार कंपनियों के प्रबंध निदेशकों या मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) को निर्देश दिया है कि वे बकाया के भुगतान के बारे में 4 सप्ताह में वचन या व्यक्तिगत गारंटी दें। कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों को आगाह करते हुए कहा है कि एजीआर के बकाये की किस्त के भुगतान में चूक की स्थिति में उनपर जुर्माना, ब्याज लगेगा। यह कोर्ट की अवमानना भी होगी।
कोर्ट ने कहा कि दिवाला प्रक्रिया से गुजर रही दूरसंचार कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम की बिक्री के मुद्दे पर राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) फैसला करेगा। कोर्ट ने यह फैसला 1.6 लाख करोड़ रुपए के बकाये के भुगतान की समयसीमा सहित अन्य मुद्दों पर सुनाया है।