- साल 2025 तक ईंधन में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- इस लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले प्राप्त कर लेंगे: केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे।
- जीवाश्म ईंधन से ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ने की है योजना।
नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि, किसानों को 40,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा क्योंकि भारत ने अपने तय समय से 9 माह पहले ही 10 फीसदी इथेनॉल पेट्रोल और डीजल में मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है।जबकि लक्ष्य को प्राप्त करने की समयसीमा 2022 के नवंबर-दिसंबर थी। यह हमारे लिए गौरव का क्षण है। इससे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 27 लाख टन की कमी आएगी और देश के लिए लगभग 41,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
विश्व पर्यावरण दिवस पर आईआईटी दिल्ली में ग्रीन ऊर्जा कॉन्क्लेव 2022 को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि, इससे किसानों को 40,000 करोड़ रुपए का प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। 2025 तक 20 फीसदी एथेनॉल पेट्रोल और डीजल में मिलाने प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि हम इसको निर्धारित समय से पहले प्राप्त कर लेंगे और वही जीवाश्म ईंधन से हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने की योजना बना रहे हैं। हमें इसके लिए सभी देश के नागरिकों के सहयोग की जरूरत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, दुनिया भर में प्रति व्यक्ति कार्बन पदचिह्न प्रति वर्ष 4 टन है, लेकिन भारत में यह केवल 0.5 टन है। यह हमारी ताकत है। आने वाले दिनों में हमें इस कार्बन फुटप्रिंट को शून्य पर लाना है और आज हमें यह संकल्प लेना है और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ना है। भारत का 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने का लक्ष्य है और हम इसे हासिल कर लेंगे। भारत 2030 तक अपनी ऊर्जा खपत का 50% नवीकरणीय ऊर्जा से प्राप्त करेगा।
भारत के नेट-जीरो मिशन के बारे में बात करते हुए मंत्री चौबे ने कहा कि, भारत 2030 तक अपने कार्बन फुटप्रिंट को भी 1 बिलियन टन कम कर देगा और हम 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल कर लेंगे। इस लक्ष्य की ओर, हमारा आदर्श संदेश है 'स्वच्छ पवन, नील गगन'। (स्वच्छ हवा, नीला आकाश)।
कार्यक्रम में सुधीर कुमार दास ने कहा कि,हम सभी जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक वास्तविकता है और यह स्थानीय से लेकर केंद्र सरकार के निकायों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों तक सभी हित के लिए से मिलजुलकर काम करने की जरूरत है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के संस्थानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने की जिम्मेदारी साझा करनी होगी। सतत विकास के लिए नीति निर्माताओं, उद्योगों और नागरिक समाज संगठनों को एक साथ आना होगा। CRESPAI सभी हितधारकों के लिए एक मंच प्रदान करके स्वच्छ ऊर्जा और हरित पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।