नई दिल्ली: सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत एक आवेदन के जवाब में आरबीआई द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार, टॉप 100 विलफुल डिफॉल्टरों की कुल राशि मार्च 2019 की 80,344 करोड़ रुपए से 5.34% बढ़कर वित्त वर्ष 2020 में 84,632 करोड़ रुपए हो गई। इकोनॉमिक टाइम्स ने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि टॉप 10 डिफॉल्टर्स में गीतांजलि जेम्स, विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी और किंगफिशर एयरलाइंस का 32% हिस्सा है।
हालांकि बैंकों ने अपनी बैलेंस शीट को क्लीन करने और टैक्स लाभ प्राप्त करने के लिए करीब तीन-चौथाई बंद कर दिया है, लेकिन डिफॉल्ट उधारकर्ता RBI के आंतरिक CRILC डेटाबेस में दिखाई देते रहेंगे जब तक कि वे डिफॉल्ट को क्लीन नहीं करते हैं, मामले से जुड़े लोगों ने पब्लिकेशन को बताया।
ईटी के मुताबिक गीतांजलि जेम्स मेहुल चोकसी की है वह 5,693 करोड़ रुपए के साथ विलफुल डिफॉल्टरों की लिस्ट में सबसे ऊपर है, इसके बाद झुनझुनवाला भाइयों की REI एग्रो 4,403 करोड़ रुपए और जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी 3,375 करोड़ रुपए बैंकों से लेकर डिफॉल्टर हो गया है। टाप 10 विलफुल डिफॉल्टरों में एक अन्य आभूषण निर्माता फॉरएवर प्रेशियस ज्वैलरी, और विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस शामिल हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता बिस्वनाथ गोस्वामी के शेयर डेटा के अनुसार, पंजाब नेशनल बैंक ने गीतांजलि जेम्स 4,644 करोड़ रुपए लोन दिए जो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) के साथ मार्च 2020 तक सबसे अधिक था। पीएनबी ने गिल्ली इंडिया को 1,447 करोड़ रुपए और नक्षत्र ब्रांड्स का 1,109 करोड़ रुपए दिया था। इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक के टॉप 10 विलफुल डिफॉल्टरों से 1,875 करोड़ रुपए बकाया थे। यूको बैंक का REI एग्रो के साथ 1,970 करोड़ रुपए का निवेश था। जिसका आधा बट्टे खाते में डाल दिया गया।
सक्रिय बैलेंस शीट से ऑफ-बैलेंस शीट खातों में एनपीए को शिफ्ट करने के लिए राइट-ऑफ की एंट्री होती है। ये 100% प्रावधान द्वारा समर्थित हैं और इसलिए इन खातों से किसी भी वसूली को शुद्ध लाभ में जोड़ा जाता है। RBI मासिक रूप से बैंकों से क्रेडिट डेटा एकत्र करता है, जबकि डिफॉल्टर्स के आंकड़ों को साप्ताहिक आधार पर एकत्र किया जाता है। नियामक ने बैंकों को चार साल से अधिक पुराने एनपीए के खिलाफ पूरी तरह से प्रदान करने के लिए बाध्य किया है और इन पुराने एनपीए को राइट ऑफ अनुमति दी है। वित्त वर्ष 2020 के दौरान एनपीए में कमी काफी हद तक राइटऑफ से प्रेरित थी। आरबीआई ने भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा था। मार्च 2020 के अंत में बैंकों का कुल सकल एनपीए घटकर 8.2% हो गया जो एक साल पहले 9.1% था।