- श्रम बल में बेरोजगारी दर को बेरोजगार व्यक्तियों के फीसदी के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- जनवरी-मार्च में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 9.3 फीसदी पर पहुंच गई।
- नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस यानी एनएसओ के पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण यानी पीएलएफएस में यह पता चला।
Unemployment Rate: 2021-2022 के पहले तीन महीनों में शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर (Unemployment) 9.3 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि साल 2019-2020 की समान तिमाही में यह आंकड़ा 9.1 फीसदी था। 2020-2021 की पहली तिमाही में इसने 20.8 फीसदी के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लिया था।
2020-21 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान 11 राज्यों में बेरोजगारी चरम पर थी। इस दौरान यह सभी राज्यों में विशेष रूप से 15 से 29 आयु वर्ग में 22.9 फीसदी पर थी। बाद की भी बेरोजगारी दर उच्च बनी रही क्योंकि 12 राज्यों ने अक्टूबर-दिसंबर के दौरान दोहरे अंकों में शहरी बेरोजगारी की सूचना दी।
गुजरात में सबसे कम रही शहरी बेरोजगारी दर
गुजरात में शहरी बेरोजगारी दर सबसे कम 3.8 फीसदी थी, उसके बाद पश्चिम बंगाल में 4.8 फीसदी थी। पीरियॉडिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एंड कश्मीर और लद्दाख में बेरोजगारी दर 17.6 फीसदी थी, जो अक्टूबर-दिसंबर के 17.8 फीसदी से कम थी, लेकिन 2020 की मार्च तिमाही के 10.8 फीसदी से अधिक थी। इसके बाद उत्तराखंड, केरल, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखंड, तमिलनाडु, यूपी और हरियाणा का स्थान रहा।
कम से कम 13 राज्यों में सभी आयु वर्गों में महिलाओं के लिए और 11 राज्यों में पुरुषों के लिए दोहरे अंकों में शहरी बेरोजगारी दर्ज की गई। 2021 की जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान कुल मिलाकर शहरी रोजगार लगभग 9.4 फीसदी था, जो इससे पिछली तिमाही यानी अक्टूबर-दिसंबर में शहरी क्षेत्रों के 10.3 फीसदी से कम था। PLFS के आंकड़ों से पता चलता है कि दर कम थी लेकिन पिछली 3 तिमाहियों से दोहरे अंकों में बनी रही।
उच्च स्तर पर युवा रोजगार
समीक्षाधीन तिमाही में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के लिए युवा रोजगार राज्यों में उच्च स्तर पर रहा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने रोजगार और बेरोजगारी संकेतकों को मापने के लिए पीएलएफएस की शुरुआत की थी।