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क्या टल गया मंदी का खतरा? महंगाई कम करने के लिए अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने उठाया बड़ा कदम

Updated Jul 28, 2022 | 11:53 IST

अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इंटरेस्ट रेट्स को 0.75 फीसदी बढ़ा दिया। इसके साथ ही अमेरिका में संभावित मंदी को भी नकार दिया गया है। पढ़िए अमेरिकी मौद्रिक नीतियों का विश्व पर और भारत के लिए क्या होंगे मायने।

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महंगाई पर काबू पाने के लिए फेड रिजर्व ने उठाया सख्त कदम (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर 0.75 फीसदी बढ़ा दी है।
  • अमेरिका के शेयर मार्केट में तेजी देखी गई।
  • फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने मंदी से इंकार किया है।

नई दिल्ली। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) ने अमेरिका में बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए ब्याज दरें 0.75 बढ़ा दी हैं। यह बढ़ोतरी अमेरिकी सेंट्रल बैंक के द्वारा की गई लगातार चौथी बढ़ोतरी है। ब्याज दरों में ये इजाफा साल 1994 के बाद सर्वाधिक है। लगातार चौथी बढ़ोतरी से अमेरिकी सेंट्रल बैंक की चिंता साफ समझ में आती है, पर इसका असर दुनिया के शेयर मार्केट और अन्य अर्थव्यवस्थाओं को भी चिंता में डालेगा।

महंगाई कम करना चाहता है लक्ष्य
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने प्रेस कॉन्फेरेंस में कुछ बड़ी बाते कहीं जिनके बाद अमेरिका के शेयर बाजार उछल पड़े। अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए अमेरिकी फेडरल के चेयरमैन पॉवेल ने कहा की फेडरल रिजर्व का सबसे बड़ा लक्ष्य है महंगाई को काबू करना। अगर ये अभी भी कम नहीं हुई, तो आगे भी इन्फ्लेशन यानी महंगाई की धार को कम करने के लिए प्रयास करेंगे। अमेरिका में महंगाई की दर अभी 9.1 फीसदी के साथ 41 साल के उच्चतम स्तर पर है।

फेडरल रिजर्व के इस फैसले का ब्याज दरों में बढ़ोतरी का असर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत के रूप में पड़ सकता है। रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को पहले भी छू चुका है और अब फेडरल रिजर्व के इंटरेस्ट रेट बढ़ाने से बाजार में डॉलर की और भी कमी होगी। इस कमी का कारण होगा विदेशी निवेशकों का डॉलर को वापस अमेरिका ले जाना।

भारतीय शेयर बाजारों की स्थिति पहले से ही बहुत अच्छी नहीं है ऐसी स्थिति में इंटेरेस्ट रेट्स बढ़ने से डॉलर की अमेरिका में वापसी होगी और डॉलर की मजबूती के बाद विदेशी निवेशकों की बिकवाली और तेज हो सकती है, जिससे रुपये पर असर पड़ेगा। आरबीआई की 3 से 5 अगस्त को होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट बढ़ने की आशंका है। इससे लोन महंगा होगा।

मंदी का खतरा टला या बाकी है मुसीबत?
तमाम अर्थशास्त्री और एजेंसियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी की तरफ जाने का अनुमान लगा रहे हैं,  इसपर बोलते हुए फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष पॉवेल ने साफ कर दिया कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था मंदी में बिलकुल नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की कई ऐसे सेक्टर्स हैं, जो बहुत अच्छा कर रहे है।

50 सालों के निचले स्तर पर है बेरोजगारी दर
पॉवेल ने धीमी ग्रोथ का कारण बताते हुए कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने पहले के सालों में 5.5 की दर से बहुत अच्छी वृद्धि देखी है जो अब धीमी हो रही है, आगे और धीमी हो सकती है, पर लेबर मार्केट अभी भी बहुत अच्छा रोजगार जोड़ रहा है। पॉवेल ने आगे कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की दर 50 सालों के निचले स्तर पर है। अमेरिकी सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष ने साफ कर दिया है कि फिलहाल मंदी की स्थिति नहीं है।

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