कोविड-19 संकट के कारण आर्थिक और वित्तीय अनिश्चितता काफी बढ़ गई है। इससे कई लोगों की जिंदगी और सेहत खतरे में पड़ गई है। इसकी वजह से कई लोग अब अपनी एस्टेट प्लानिंग और उत्तराधिकार के बारे में सोचने लगे हैं। हाल की कई रिपोर्टों में अपनी वसीयत लिखने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। वसीयत लिखना या एस्टेट प्लानिंग, फाइनेंसियल प्लानिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे सोच-समझकर बड़ी सावधानी के साथ करना चाहिए। इसलिए इसे डर या जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। यदि आप भी एस्टेट प्लानिंग करने जा रहे हैं तो आपको भी ये बातें मालूम होनी चाहिए।
वसीयत तैयार करना जरूरी क्यों है
वसीयत न होने पर कानूनी वारिस को लेकर उलझन पैदा हो सकती है। जमीन-जायदाद से जुड़े झगड़ों के कारण परिवार के लोगों में खून-खराबा तक हो जाता है। अपने वारिसों को आपकी संपत्ति में अपने हिस्से की दावेदारी के लिए कानूनी लफड़े में फंसने से बचाने के लिए वसीयत तैयार करना जरूरी है। इसमें यह जिक्र रहता है कि आपकी संपत्ति और दौलत को आपके कानूनी वारिसों में कैसे बांटा जाएगा। इससे आपकी पत्नी, बच्चों और तत्कालीन पारिवारिक सदस्यों को परिवार के अन्य सदस्यों के समस्यापूर्ण दावों से कानूनी सुरक्षा भी मिलेगी।
वसीयत क्या है?
वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जिसमें यह जिक्र रहता है कि आप अपनी मौत के बाद अपने वारिसों में अपनी संपत्ति को कैसे बांटना चाहते हैं। वसीयत होने पर, आपकी संपत्ति को आपकी वसीयत के अनुसार बांटा जाएगा। वसीयत न रहने पर, उत्तराधिकार का क़ानून लागू होता है। वसीयत तैयार करने की कोई उम्र सीमा नहीं होती है। लेकिन यदि आपने थोड़ी-बहुत संपत्ति बना ली है जिसे आप अपने वारिसों में अपनी इच्छानुसार बांटना चाहते हैं तो आपको अपनी वसीयत तैयार कर लेनी चाहिए।
हाथ का लिखा या टाइप किया हुआ?
वसीयत को हाथ से या टाइप करके भी लिखा जा सकता है। कानूनी रूप से दोनों स्वीकार्य हैं। वसीयत तैयार करने के लिए वकील की जरूरत नहीं है लेकिन बाद में कानूनी चुनौतियों की सम्भावना को कम करने के लिए वकील की मदद ले लेना बेहतर रहता है। वह आपको वसीयत तैयार करने की विभिन्न कानूनी जटिलताओं को समझने में भी मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, अपनी वसीयत में किसी पैतृक संपत्ति को शामिल नहीं करना चाहिए क्योंकि दावेदार उसे चुनौती दे सकते हैं।
क्या उसे रजिस्टर कराना चाहिए?
अपनी वसीयत को रजिस्टर करा लेने से उसकी प्रमाणिकता बढ़ जाती है और धोखाधड़ी या छेड़छाड़ की सम्भावना कम हो जाती है। वसीयत को रजिस्टर कराना जरूरी नहीं है लेकिन रजिस्टर करा लेना बेहतर होता है। निर्धारित फीस देकर इसे रजिस्ट्रार/सब-रजिस्ट्रार से रजिस्टर कराया जा सकता है। अपनी वसीयत को रजिस्टर कराने के लिए आपको दो भरोसेमंद गवाह की भी जरूरत पड़ेगी। लेकिन, याद रखें कि गवाह, आपकी वसीयत के लाभार्थी नहीं होने चाहिए।
वसीयत तैयार करना
वसीयत तैयार करते समय, आपको अपने फाइनेंसियल जीवन के सभी महत्वपूर्ण विवरणों पर ध्यान देना चाहिए। अपनी सभी संपत्तियों और देनदारियों को सूचीबद्ध करें। इसमें चल और अचल संपत्तियां, इन्वेस्टमेंट्स, इत्यादि शामिल होते हैं। चूंकि कई इन्वेस्टमेंट्स अब इलेक्ट्रॉनिक रूप में रखे जाते हैं, इसलिए अपनी वसीयत में उनका जिक्र जरूर करें। आपको अपनी वसीयत में अपनी जिंदगी में कमाए, ख़रीदे या तैयार किए गए सभी एसेट्स, जैसे प्रॉपर्टी, जमीन, कार, गहने, कैश, इत्यादि को शामिल करना चाहिए ताकि आपके कानूनी वारिसों को आपकी मौत के बाद कानूनी विवाद में फंसना न पड़े या आपकी धन-दौलत से हाथ धोना न पड़े जिसकी जरूरत उन्हें आपकी मौत के बाद अपने लाइफस्टाइल को बनाए रखने के लिए है।
आप अपनी वसीयत में जितनी बार चाहे उतनी बार फेरबदल कर सकते हैं और उसमें आप अपने कानूनी वारिसों को जोड़ या हटा भी सकते हैं। सप्लीमेंटरी स्टेटमेंट्स के माध्यम से एक रजिस्टर्ड वसीयत में मामूली बदलाव किए जा सकते हैं लेकिन बड़े बदलाव के लिए एक नया वसीयत तैयार करना पड़ेगा जिससे पिछली वसीयत बेकार हो जाएगी। प्रत्येक वसीयत में तारीख का जिक्र करना जरूरी है ताकि पता चल सके वह कब का है। इसके अलावा, अपने तत्कालीन पारिवारिक सदस्यों को अपनी वसीयत के बारे में जरूर बताएं ताकि उन्हें मालूम रहे कि वसीयत है और आपकी मौत के बाद उसे लागू किया जा सके।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)