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कॉन्ट्रा फंड क्या है, ये आपके निवेश पोर्टफोलियो में होने चाहिए?

Updated Oct 26, 2021 | 21:32 IST

कॉन्ट्रा फंड में निवेश से पहले निवेशकों को अपनी जोखिम प्रोफाइल और जोखिम लेने की क्षमता के बारे में जानना चाहिए। जानिए आखिर यह क्या है?

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कॉन्ट्रा फंड में निवेश करते समय बरतें सावधानी

'कॉन्ट्रा' शब्द 'कॉन्ट्रेरियन' से आया है, जिसका अर्थ है- प्रचलित मानदंडों के विपरीत जाना। आम तौर पर इक्विटी से संबंधित, कॉन्ट्रा म्यूचुअल फंड ऐसे क्षेत्रों और शेयरों में निवेश करते हैं जो वर्तमान समय में नॉन-परफॉर्मर होते हैं और जिनका मूल्य घटा हुआ होता है लेकिन फिर भी उनका बुनियादी मूल्य (फंडामेंटल वैल्यू) मजबूत होता है। इसलिए, ये फंड एक विपरीत दृष्टिकोण अपनाते हुए भविष्य में प्रदर्शन करने वाले शेयरों पर दांव लगाते हैं। कॉन्ट्रा फंड की प्रकृति आमतौर पर चक्रीय होती है, और अपेक्षाकृत लंबी अवधि में ये उच्च रिटर्न प्रदान करते हैं।

कॉन्ट्रा म्यूचुअल फंड स्कीम के फंड मैनेजर उन अंडरवैल्यूड (जिन्हें कम आंका गया है) शेयरों की तलाश करते हैं, जो विभिन्न कारणों से बाजार के चढ़ाव के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। इनके अंडर-वैल्यूएशन (कम मूल्यांकन) के कारकों में नियामक उपायों से लेकर व्यावसायिक चक्र तक या वे अप्रत्याशित घटनाएं भी शामिल हो सकती हैं जिन्होंने अस्थायी रूप से कंपनी के प्रदर्शन को दबाव में डाल दिया हो। इसलिए फंड मैनेजर शोध-आधारित दृढ़ विश्वास के साथ ऐसे निवेश अवसरों को भुनाने की कोशिश करता है।

इसके बावजूद कॉन्ट्रा फंड निवेशकों के लिए नहीं हैं। ये अल्पावधि में अत्यधिक नॉन-लीनियर और अप्रत्याशित प्रदर्शन के साथ अपेक्षाकृत जोखिम भरे फंड हैं। ऐसी स्कीम में न केवल रिटर्न मिलने में समय लगता है, बल्कि ये 2-3 साल की अवधि वाले अल्पावधि वित्तीय लक्ष्यों के लिए भी उपयुक्त नहीं हो सकती हैं।

कॉन्ट्रा फंड में किसे निवेश करना चाहिए?

कॉन्ट्रा फंड पर विचार करने से पहले निवेशकों को अपनी जोखिम प्रोफाइल और जोखिम लेने की क्षमता के बारे में जानना चाहिए। इसके अलावा, इसके लिए निवेशकों के निवेश व्यवहार को समझने की भी आवश्यकता होती है। इस तरह के फंड में आपके धैर्य, झटका सहने की क्षमता तथा फंड असेट के मूल्य में और गिरावट होने पर अधिक निवेश करने की इच्छा रखना अपेक्षित है। इसलिए, मध्यम से उच्च जोखिम लेने वाले निवेशकों के पास यदि पर्याप्त समय है और वे परेशान हुए बिना अपने दृष्टिकोण में अनुशासित रह सकते हैं, तो वे कॉन्ट्रा फंड का विकल्प चुन सकते हैं।

क्या आपको कॉन्ट्रा फंड में निवेश करना चाहिए?

लंबी अवधि में जोखिम की तुलना में रिटर्न की अधिक संभावना 'कॉन्ट्रा फंड' को बेहद आकर्षक बनाती है। आपको बाजार में लगातार तेज उतार-चढ़ाव दिखेगा लेकिन जरूरी है कि आप निवेश यात्रा के दौरान ठहर कर प्रतीक्षा करें। कभी कभी ऐसा भी हो सकता है कि निवेश का मूल्य आपकी लागत से कई गुना कम हो जाए। इस तरह का फेज आने पर आपको अधिक यूनिट्स खरीद कर रखनी चाहिए, जिससे कॉस्ट एवरेजिंग (यानी लागत को औसत करने) में मदद मिलती है।

उदाहरण के लिए, तीन बड़े, जाने-माने फंड-हाउस के कॉन्ट्रा फंडों ने एक साल में क्रमशः 84.4%, 54.5% और 57% का रिटर्न दिया है। 1 अक्टूबर 2021 को ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, तीन वर्षों में क्रमशः 23.5%, 18% और 18.1% की चक्रवृद्धि दर पर रिटर्न में वृद्धि देखी गई। हालांकि, ऐसे फेज भी आए हैं जब इन फंडों के मूल्य में 30-40% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। यह ऐसे फंडों के साथ जुड़े जोखिम को इंगित करता है।

कॉन्ट्रा फंड आपके मुख्य दीर्घकालिक निवेश पोर्टफोलियो के इर्दगिर्द आपके सैटेलाइट फंडों में से एक हो सकते हैं। ये आपके समग्र पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने में मदद करते हैं, और लंबी अवधि में पैसा बढ़ाने में काफी मदद करते हैं। ऐसे चक्रों के दौरान जब बेंचमार्क मार्केट इंडेक्स प्रदर्शन नहीं कर रहे होते हैं, उस समय कॉन्ट्रा फंड आपके निवेश में अतिरिक्त मूल्य वृद्धि कर सकते हैं। और जब व्यापक बाजारों में बेहतर प्रदर्शन दिखता है, तब कॉन्ट्रा फंड का प्रदर्शन खराब रह सकता है।

कॉन्ट्रा फंड में निवेश करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

यद्यपि भारतीय म्यूचुअल फंड सेक्टर द्वारा विभिन्न एसेट क्लास में करीब 1500 स्कीम की पेशकश की जा रही है, लेकिन वर्तमान समय में निवेशकों के लिए केवल 19 कॉन्ट्रा फंड उपलब्ध हैं। चूंकि इनकी संख्या कम है और ये अपेक्षाकृत कम एसेट का प्रबंधन करते हैं, इसलिए निवेशकों को आगे बढ़ने से पहले निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।

1) पिछला प्रदर्शन: कॉन्ट्रा फ़ंड चुनते समय, निवेशकों को निवेश करने से पहले ऐसे फ़ंडों के पिछले प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए। इससे फ़ंड के प्रदर्शन चक्र को समझने में मदद मिलती है, और इस प्रकार निवेशकों को यह जान पाते हैं कि उन्हें कितने समय तक फ़ंड से जुड़े रहना चाहिए।

2) अपने आवंटन को सीमित करें: आदर्शतः किसी भी निवेशक को इस फ़ंड में अपने कुल निवेश के पांचवें हिस्से से अधिक आवंटन नहीं करना चाहिए। उच्च जोखिम लेने वाले अनुभवी निवेशक अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के अनुरूप हायर एक्सपोजर का चुनाव कर सकते हैं।

3) मूल्य कम होने पर न बेचें: कॉन्ट्रा फ़ंड में निवेश करते समय धैर्य के साथ दृढ़ विश्वास रखना जरूरी है। यह सलाह दी जाती है कि मूल्य में गिरावट होने पर न तो घबराएँ और न ही रीडिम करें। इसके बजाय, एक निवेशक को ऐसी बाजार स्थितियों का उपयोग अधिक यूनिट्स खरीदने में करना चाहिए ताकि उनकी होल्डिंग लागत को एवरेज किया जा सके।

4) चक्र समाप्त होने पर लाभ बुक करें: अगर कॉन्ट्रा फ़ंड अपने प्रदर्शन चक्र के पूरा होने पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं, तो उन्हें आगे अपने पास बनाए रखना उपयुक्त नहीं हो सकता है। कॉन्ट्रा फ़ंड से समय पर रीडेंप्शन करने से पैसा बढ़ने में मदद मिलती है। यह जानने के लिए अपने एडवाइजर या रिलेशनशिप मैनेजर की सलाह लें कि रिडीम करने का उपयुक्त समय क्या होगा।

निष्कर्ष

कॉन्ट्रा फ़ंडों में यह क्षमता है कि आपके समग्र निवेश पोर्टफोलियो के मूल्य में अच्छी वृद्धि कर सके। हालाँकि, इन्हें रिटर्न प्रदान करने के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि के साथ निवेशकों से बहुत अधिक धैर्य और अडिग दृढ़ विश्वास की अपेक्षा होती है। यदि आप एक अनुभवी निवेशक हैं जो बाजार चक्र से अच्छी तरह वाकिफ हैं, और अपेक्षाकृत उच्च जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं तो आप कॉन्ट्रा फ़ंड पर विचार कर सकते हैं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर:  ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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