- जीएसटी को आजाद भारत का सबसे बड़ा आर्थित सुधार माना गया
- 1 जुलाई 2017 को इसे पूरे भारतवर्ष में लागू किया गया था
- जीएसटी के कई फायदे हैं तो इसके कुछ नुकसान भी हैं
नई दिल्ली : गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) एक ऐसा कर है जो भारत में लगाए गए तमाम तरह के अप्रत्यक्ष करों के बदले में लागू होता है। जीएसटी के देश की अर्थव्यवस्था में कई लाभ हैं। जीएसटी देश में सप्लाई होने वाले प्रोडक्ट और सर्विसेस पर लगने वाला कर होता है। यह एक प्रकार से अनगिनत अप्रत्यक्ष करों का समावेश है जिसे सर्विस टैक्स, खरीदी कर, सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, वैट, एंट्री टैक्स, लग्जरी टैक्स, लोकल बॉडी टैक्स के तौर पर राज्य सरकार या फिर केंद्र सरकार के द्वारा लगाया जाता है।
जीएसटी से सरकार को, उद्योग को और साथ ही साथ भारतीय नागरिकों को भी फायदा होता है। जीएसटी की दर नए आर्थिक सुधार के तहत कम किए जाने की उम्मीद है। इसके अलावा भारतीय प्रोडक्ट की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी पहुंच बढ़ेगी। दुनियाभर के लगभग 140 देशों ने जीएसटी को अपनाया है। केंद्र सरकार ने 1 जुलाई 2017 को इसे देशभर में लागू किया था। यह मूलत दो प्रकार के होते हैं। पहला सेंट्रल जीएसटी और दूसरा स्टेट जीएसटी।
टैक्सेशन में एकरुपता
इकोनॉमिक बाधाओं को दूर करने के लिए और एक इंटीग्रेटेड इकोनॉमी बनाने के लिए जीएसटी की शुरुआत की गई थी। आजादी के बाद से गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स को भारत में सबसे बड़े आर्थिक सुधार के तौर पर माना जाता है। इससे सामानों पर अलग-अलग कर देने का झंझट खत्म हो जाता है उसकी जगह पर सरकार एक टैक्स लेकर आई है जो जीएसटी है।
राजस्व में वृद्धि
साधारण और आसान कर व्यवस्था इसके अनुपालन की लागत को कम करेगी और इससे करदाताओं की वृद्धि होगी। इससे राजस्व में वृद्धि होगी और परिणामस्वरुप देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत होगी।
व्यापार में सुगमता
पहले एक ही सामान पर कई अलग-अलग प्रकार के टैक्स चुकाने होते थे जिसके कारण उपोक्ता को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी और ये प्रक्रिया काफी जटिल भी हो जाती थी। लेकिन उन सबकी जगह अब कुल मिलाकर एक जीएसटी टैक्स आ गया है जिससे व्यापार करने में आसानी हो गई है और सारी जटिलताएं खत्म हो गई है। पहले लोग इसी जटिलताओं के चलते व्यापार करने में भी संकोच करते थे लेकिन अब जीएसटी आने से विनिर्माण में और विदेशी निवेश में भी बढ़ोत्तरी होती है।
जीडीपी में बढ़ोत्तरी
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक जीएसटी लागू होने से 0.5 से लेकर 2 फीसदी तक जीडीपी में बढ़ोत्तरी होगी। इससे चूंकि राजस्व कर पर सकारात्मक असर पड़ेगा। इससे अप्रत्यक्ष करों का बोझ भी खत्म हो जाता है। यह ब्याज दर के अंतर को भी दूर करता है।