- RBI ने रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) रिवर्स रेपो दर में बड़ी कटौती
- आरबीआई के इस कदम के बाद ग्राहकों की बैंक ईएमआई होगी कम
- रेपो दर में .75 प्रतिशत की कटौती हुई और यह कम होकर 4.40 प्रतिशत पर आ गई है
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में नकदी प्रवाह बढ़ाने और कर्ज सस्ता करने के लिये रेपो दर, नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) रिवर्स रेपो दर में बड़ी कटौती की घोषणा की। इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा और भी महत्वपूर्ण ऐलान किए गए हैं। शक्तिकांत दास ने कहा कि सीआरआर में कटौती, रेपो दर आधारित नीलामी समेत अन्य कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए 3.74 लाख करोड़ रुपये के बराबर अतिरिक्त नकद धन उपलब्ध होगा।
रेपो दर में .75 प्रतिशत की कटौती कर दी। इस कटौती के बाद रेपो दर 4.40 प्रतिशत पर आ गई। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर में भी .90 प्रतिशत की कटौती कर इसे 4 प्रतिशत पर ला दिया। जब भी आरबीआई प्रेस कॉन्फ्रेंस करता है तो इस दौरान कुछ शब्द ऐसे होतें हैं जो बार-बार सुनाई देते हैं, जैसे- रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेस, सीआरआर, लिक्वडीटी आदि। तो आईए जानते हैं इनका क्या अर्थ है और कैसे आप यानि एक आम ग्राहक को इसका फायदा या नुकसान हो सकता है।
क्या होती है रेपो रेट दर
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक यानि आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है और बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को ऋण देते हैं। शुक्रवार को आरबीआई गवर्नर ने इसमें .75 बेसिस प्वाइंट की कटौती करने का ऐलान किया जिसका मतलब है कि बैंकों को आरबीआई से सस्ता कर्ज मिलेगा। ऐसे में यह देखना होगा कि इसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को किस तरह देते हैं। सामान्य तौर पर रेपो रेट कम होने से कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाते हैं जिसमें होम लोन, कार लोन आदि शामिल हैं।
रिवर्स रेपो रेट
यह रेपो रेट के ठीक उलट होती है जो नाम से ही पता चलता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से रिजर्व बैंक में जमा राशि पर ब्याज मिलता है। बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में रिवर्स रेपो रेट काम आती है। जब भी बाजार में बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है जिससे कि बैंक उस पैसे को आऱबीआई में जमा करा दें तांकि उन्हें ब्याज मिल सके। गुरुवार को आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में भी 90 बेसिस पॉइंट की कमी की घोषणा की है।
नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर)
देश में जो भी बैंकिंग नियम लागू हैं उनके तहत प्रत्येक बैंक को अपनी कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखना जरूरी होता है जिसे कैश रिजर्व रेश्यो अथवा नकद आरक्षित अनुपात कहा जाता है। यह इसलिए रखा जाता है कि ताकि कभी अगर बैंक में बहुत अधिक लोग अपना पैसा निकालने लगें तो बैंक इससे इंकार नहीं कर सके। आपातकालीन परिस्थितियों में लेन-देन को पूरा करने में किया इसका प्रयोग किया जाता है।