- लॉकडाउन के दौरान लोन मोरेटोरियम दिया गया था
- मोरेटोरियम के दौरान सिर्फ ईएमआई चुकाने से छुट दी जाती है
- बाकी राशि पर ब्याज जमा होता रहता है
कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया था। इस की वजह से देश भर में आर्थिक गतिविधियां थम गई थीं। जिससे करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया था। लोग लोन ईएमआई भरने में असमर्थ हो गए थे। इसलिए सरकार ने लोन मोरेटोरियम देने का फैसला किया पहले इसे मार्च, अप्रैल और मई महीने के लिए दिया गया। बाद में इसे तीन महीने और 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया। लोन मोरेटोरियम का मतलब होता है कि अगर आप मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई जमा नहीं किया तो बैंक आपके ऊपर कार्रवाई नहीं करेगा। लेकिन आप से मोरेटोरियम के बाद ईएमआई बचे किस्तों पर ब्याज समेत लेगा। यानी ब्याज पर ब्याज भी लगेगा।
ब्याज पर ब्याज का गणित क्या है?
बैंकों से लोन लेने वालों को ब्याज पर ब्याज में जरूर जानना चाहिए। इस चक्रवृद्धि ब्याज कहते हैं। आइए इसे सरल शब्दों में समझते हैं। जैसे आपने ने किसी बैंक या लोन देने वाली संस्था से लोन लिया। उसने आपकी ईएमआई फिक्स कर दी। आपको प्रति महीने लोन लिए गए मूलधन में से कुछ हिस्सा ईएमआई को तौर पर चुकाना होता है साथ ही उस पर लगने वाला ब्याज भी चुकाना होता है। मान लीजिए आपने किसी महीने ईएमआई नहीं चुकाया तो आपको अगले महीने पिछले की ईएमआई जिसमें ब्याज भी शामिल है। वह मूलधन बन जाएगा फिर उस पर ब्याज लगेगा। इस तरह आगे भी अगर आपने कुछ और महीने तक ईएमआई नहीं चुकाया तो हर महीने की ईएमआई में ब्याज जुड़कर मूलधन बन जाएगा और उस पर ब्याज समेत चुकाना पड़ेगा। इसे ही ब्याज पर ब्याज कहते हैं।
लोन मोरेटोरियम के नुकसान
कोई उधारकर्ता को अपनी ईएमआई को टालने पर आगे चलकर इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं क्योंकि इससे इंटरेस्ट जमा होता चला जाएगा जो जमा होकर एक बड़े कर्ज का रूप ले सकता है। आपके निर्धारित लोन ब्याज दर के मुताबिक आपके बाकी राशि पर ब्याज जमा होता रहेगा। मोरेटोरियम अवधि खत्म होने के बाद, जमा ब्याज आपके लोन बैलेंस में शामिल हो जाएगा जिसे आपको अपने लोन देने वाले बैंक या संस्था के अनुसार चुकाना पड़ेगा। चक्रवृद्धि ब्याज, आपके बाकी लोन राशि को बड़ी तेजी से बढ़ा सकता है, इसलिए आपको यह जरूर पता होना चाहिए कि यह कैसे होता है।
लोन मोरेटोरियम किसी तरह की छूट नहीं है और आपको बाद में ईएमआई का भुगतान करना होता है। इसमें ईएमआई सिर्फ टाली जाती लेकिन ब्याज बकाया राशि पर जमा होता रहेगा, जिससे मासिक किस्त बढ़ जाती है। होम लोन जैसे लॉन्ग टर्म लोन लेने वालों का समय बढ़ सकता है। इस तरह अगर आप लोन मोरेटोरियम सुविधा का लाभ उठाते हैं, तो आपको लोन अवधि के दौरान अधिक ब्याज देना पड़ेगा यानी ब्याज पर ब्याज देना पड़ेगा वर्तमान ब्याज राशि की तुलना में लोन पर देय ब्याज अधिक होगा। मोरेटोरियम का हिसाब अलग-अलग लोन के लिए अलग-अलग होता है। आपको अतिरिक्त ईएमआई भी देने पड़ सकते हैं। आपके लोन अवधि के खत्म होने में जितना ज्यादा समय बचा होगा, आपका बिना चुकाए हुई राशि उतना ज्यादा जमा होगा।