Wholesale Inflation: सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत की वार्षिक थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति (Wholesale price-based Inflation, WPI) फरवरी में पिछले महीने के 12.96 फीसदी से बढ़कर 13.11 फीसदी हो गई।
इसलिए बढ़ी थोक मूल्य-आधारित मुद्रास्फीति
कच्चे तेल (Crude Oil) और गैर-खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी आने के कारण खाद्य वस्तुओं के दामों में आई नरमी का फायदा नहीं मिला और फरवरी, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 फीसदी पर आ गई। थोक मुद्रास्फीति अप्रैल, 2021 से लगातार 11वें माह 10 फीसदी से ऊंची बनी हुई है। जनवरी 2022 में डब्ल्यूपीआई 12.96 प्रतिशत थी।
आंकड़ों के अनुसार, फरवरी, 2022 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति कम होकर 8.19 फीसदी पर आ गई जो जनवरी में 10.33 प्रतिशत थी। इसी तरह समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की मुद्रास्फीति 26.93 फीसदी रही जो जनवरी में 38.45 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, 'फरवरी 2022 में मुद्रास्फीति बढ़ने की प्रमुख वजह खनिज तेलों, मूल धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और गैर-खाद्य वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि है।'
विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 9.84 फीसदी रही जो जनवरी में 9.42 प्रतिशत थी। फरवरी में ईंधन और ऊर्जा खंड में मुद्रास्फीति 31.50 प्रतिशत रही। कच्चे तेल के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने के कारण कच्चे पेट्रोलियम में मुद्रास्फीति बढ़कर 55.17 फीसदी हो गई जो जनवरी में 39.41 फीसदी थी।
(इनपुट एजेंसी- भाषा)