- तीन टेलिकॉम कंपनियों पर स्पेक्ट्रम चार्ज और एजीआर के तहत 2.85 लाख करोड़ रुपये की प्रिंसिपल अमाउंट की देनदारी है।
- वोडाफोन इंडिया में ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन की 44.3 फीसदी हिस्सेदारी है।
- आम ग्राहकों पर जो महंगे टैरिफ की तलवार लटक रही थी, उससे अब राहत मिल सकती है।
नई दिल्ली: जून 2021 में जब वोडाफोन आइडिया लिमिटेड के चेयरमैन के रुप में कुमार मंगलम बिड़ला ने कंपनी को बचाने के लिए कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा को पत्र लिखा था। तो ऐसा लगा था कि टेलिकॉम सेक्टर में एक बड़ा भूचाल आने वाला है। पत्र में बिड़ला ने लिखा था कि वोडाफोन आइडिया का वजूद बचाने और उसके 27 करोड़ ग्राहकों के लिए वह किसी भी सरकारी और घरेलू वित्तीय कंपनी को अपनी 27 फीसदी हिस्सेदारी बेचने को तैयार हैं। इसकी वजह उन्होंने कंपनी की माली हालत को बताया था। कंपनी पर 31 मार्च 2021 तक 1.80 लाख करोड़ रुपये की देनदारी थी।
अब 15 सितंबर को बिड़ला ने एक और पत्र लिखा है। यह पत्र वोडाफोन आइडिया में 44 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली ब्रिटिश टेलिकॉम कंपनी वोडाफोन ग्रुप के सीईओ निक रीड के साथ मिलकर प्रेस रिलीज के रुप में लिखा गया है। इसमें बिड़ला ने लिखा है कि टेलिकॉम सेक्टर में सरकार द्वारा आज उठाए गए क्रांतिकारी सुधारों से लड़खड़ाते टेलिकॉम सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी। इन सुधारों से, सरकार की टेलिकॉम सेक्टर की ग्रोथ के प्रति सुधारों की प्रतिब्धता दिखती है।
करीब 3 महीने बाद बिड़ला के रुख में आए बदलाव की वजह, सरकार द्वारा टेलिकॉम सेक्टर के लिए राहत पैकेज का ऐलान है। 15 सितंबर को इसके तहत केंद्रीय मंत्रिमंडल ने टेलिकॉम सेक्टर में 100 फीसदी एफडीआई (FDI), AGR(एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) पेमेंट के लिए मोरेटेरियम और उसकी परिभाषा में बदलाव, और स्पेक्ट्रम लाइसेंस की अवधि में भी बढ़ोतरी का ऐलान किया है। इन कदमों से टेलिकॉम कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने से लेकर निवेश करना आसान हो जाएगा। साथ ही आम ग्राहकों पर जो महंगे टैरिफ की तलवार लटक रही थी, वह भी दूर हो सकती है।
वोडाफोन आइडिया को 70 फीसदी मुश्किलों पर कुछ समय के लिए राहत
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार सरकार के राहत पैकेज से वोडाफोन आइडिया को 70 फीसदी चिंताओं से कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है। कंपनी पर 220-230 बिलियन रुपये की सालाना स्पेक्ट्रम चार्जेज और एजीआर देनदारी है। अब यह देनदारी मोरेटोरियम के रुप में 4 साल तक के लिए बढ़ गई है। इसके बाद भी कंपनी को 120 बिलियन रुपये वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सभी देनदारियों के लिए चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार कंपनी के ऊपर कर्ज का बोझ और मोरेटोरियम अवधि 4 साल बाद बीतने के बाद ब्याज के साथ देनदारी भी बड़ी चुनौती होगी।
FDI नियमों का वोडाफोन आइडिया उठा सकती है फायदा
एफडीआई नियम में ढील का सबसे ज्यादा फायदा वोडाफोन आइडिया उठा सकती है। कंपनी अपनी पूंजी जरुरतें एफडीआई के जरिए पूरी कर सकती है। कंपनी में वोडाफोन की 44.3 फीसदी हिस्सेदारी है। नए नियम के तहत टेलिकॉम कंपनियां ऑटोमेटिक रुट से 100 फीसदी तक एफडीआई ला सकती है। इसका मतलब है कि कंपनियों को एफडीआई के लिए सरकार से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं रह जाएगी।
नए नियमों पर क्रिसिल रेटिंग्स के सीनियर डायरेक्टर मनीष गुप्ता कहते हैं "सरकार का फैसला टेलिकॉम सेक्टर के लिए अच्छा है। 4 साल का मोरेटोरियम देने से कंपनियों के पास नकदी बढ़ जाएगी। तीन टेलिकॉम कंपनियों पर स्पेक्ट्रम चार्ज और एजीआर के तहत 2.85 लाख करोड़ रुपये के प्रिंसिपल अमाउंट की देनदारी है। हालांकि एक बात यह भी समझनी होगी कि मोरेटोरियम से भुगतान चुकाने के लिए अतिरिक्त समय मिल गया है, लेकिन वह खत्म नहीं होगा। ऐसे में उनके बैलेंस शीट पर न्यूट्रल असर होगा।"
सरकार के अहम फैसले--
- एजीआर के तहत बकाया राशि के वार्षिक भुगतान में चार साल तक की मोहलत
- पिछली नीलामियों (2021 की नीलामी को छोड़कर) में खरीदे गए स्पेक्ट्रम के बकाया भुगतान पर चार साल तक की मोहलत
- टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान में ढील के कारण, देय ब्याज राशि को इक्विटी के माध्यम से भुगतान करने का भी विकल्प
- गैर-टेलीकॉम राजस्व को एजीआर की परिभाषा से भविष्य के लिए बाहर किया गया
- भविष्य की नीलामी में स्पेक्ट्रम की अवधि 20 से बढ़ाकर 30 वर्ष की गई