यूनियन बजट एक ऐसा समय होता है जिसके दौरान लोग सरकार से उनकी वित्तीय मुश्किलों को समझने और उनका समाधान करने की उम्मीद करते हैं। कोविड-19 स्वास्थ्य और आर्थिक मुद्दों के कारण वर्ष 2020 विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए कठिन समय था। नियमित आय न होने के कारण अनेक वरिष्ठ नागरिकों को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए मजबूरीवश अपनी बचतों को ही खर्च के तौर पर इस्तेमाल करना पड़ा था। उनमें से अनेक ऐसे थे जिनके पास स्वास्थ्य बीमा कवरेज नहीं था, और उन्हें कोविड-19 उपचार के लिए अस्पताल के खर्चों को उठाना पड़ा जो उनकी रिटायमेंट की प्लानिंग के लिए एक गंभीर सेटबैक था। किसी अन्य आयु समूह की तुलना में वरिष्ठ नागरिकों को अब पहले की तुलना में कहीं अधिक वित्तीय सहायता और समर्थन की ज़रूरत है। इसलिए, बजट 2021 में वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं? यहां पर इस बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।
बेसिक छूट की सीमा को बढ़ा कर 5 लाख रुपए किया जाए
वरिष्ठ नागरिकों के लिए मौजूदा बेसिक छूट 3 लाख रुपए है। इसमें 2014 में बदलाव किया गया था। पिछले छह वर्षों में, मुद्रा-स्फीति (इंफ्लेशन) के कारण पैसे की कीमत मे बहुत अधिक कमी हुई है; इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों को एक दशक पहले तुलना में अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अब अधिक पैसे की ज़रूरत है। इसलिए, सरकार उनकी बेसिक छूट सीमा को बढ़ा कर 5 लाख रूपये करने पर विचार कर सकती है ताकि उनके द्वारा किए जाने वाले टैक्स के भुगतान को कम किया जा सके।
मेडिकल खर्च के लिए उच्च टैक्स कटौतियां
कोविड-19 के कारण, वरिष्ठ नागरिकों के चिकित्सा बिल बहुत अधिक बढ़ गए हैं। किसी अन्य आयु समूह की तुलना में कोविड-19 के अलावा उनकी अन्य बीमारियों के कारण उन्हें अधिक जोखिम है। वर्तमान में आयकर अधिनियम की धारा 80-डी के अंतर्गत, वरिष्ठ नागरिक चिकित्सा खर्चों के लिए या स्वास्थ्य बीमा कवर प्राप्त करने के लिए किए गए प्रीमियम के भुगतान के लिए 50,000 रूपये तक कर-लाभ का दावा कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को आमतौर पर बार-बार स्वास्थ्य जांच करवानी पड़ती है, जिसके लिए अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ता है। इसलिए, धारा 80-डी के अंतर्गत कर-लाभ का दावा करने के लिए उन्हें चिकित्सा खर्चों और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए किए गए खर्चों, दोनों को शामिल करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कटौती की सीमा को भी बढ़ा कर 75,000/- रूपये किया जाना चाहिए।
एससीएसएस के लिए उच्चतर ऊपरी सीमा (थ्रेसहोल्ड)
वर्तमान में वरिष्ठ नागरिक बचत स्कीम (सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम) पर प्राप्त आय पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। फिक्स्ड इन्कम इंस्ट्रुमेंट्स पर ब्याज दरें पहले ही बहुत कम हैं और रिटर्न पर लगने वाले कर के कारण वास्तविक आय बहुत ही कम रह जाती है। बजट 2021 में, सरकार को एससीएसएस पर मिलने वाली ब्याज आय को पूरी तरह से टैक्स-मुक्त कर देना जाना चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों को निम्न-जोखिम निवेश विकल्पों (लो रिस्क इन्वेंस्टमेंट ऑप्शन) की आवश्यकता होती है, और एससीएसएस एक बहुत ही शानदार विकल्प है, बशर्ते की इसके लिए टैक्स में राहत प्रदान की जाए।
सरल होम लोन सुविधा
अनेक सेवा निवृत और वरिष्ठ नागरिक होम लोन लेकर अपना घर खरीदना चाहते हैं। लेकिन, बैंक आम तौर पर 60 वर्ष तक की आयु तक या जब तक कि उधारकर्ता की आयु 70 वर्ष की नहीं हो जाती है, होम लोन की अनुमति देते हैं। इसके मायने हैं कि यदि किसी की आयु 65 वर्ष है और यदि वह होम लोन लेना चाहता है, तो बैंक द्वारा अधिकतम 5 वर्ष की रिपेमेंट (चुकौती) की अनुमति दी जाएगी। होम लोन के लिए लागू की जाने वाली ऊपरी आयु को बढ़ा कर 70 वर्ष किया जाना चाहिए और होम लोन का आवेदन करने वाले वरिष्ठ नागरिक आवेदक के लिए होम लोन की अधिकतम अवधि बढ़ाकर 20 वर्ष (या जब उसकी आयु 80 वर्ष की हो जाती है) तक करनी चाहिए। इससे वरिष्ठ नागरिकों को अपनी रिटायरमेंट बचतों के आधार पर अपने घर खरीदने,किराए का भुगतान करने की बजाए ईएमआई चुकाने में मदद मिलेगी और वे रिटायरमेंट के बाद एक सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे।
80 टीटीबी पर टैक्स लाभ को बढ़ाना
वरिष्ठ नागरिक जमाकर्ताओं को आयकर अधिनियम की धार 80टीटीबी के अंतर्गत बैंक /डाकघर जमा पर मिलने वाली ब्याज आय के लिए 50,000 रूपये की कर कटौती की अनुमति दी जाती है। लेकिन, वर्तमान स्थिति में यह छूट सीमा पर्याप्त नहीं है, जब वरिष्ठ नागरिकों को बैंक जमाओं पर बहुत ही निम्न ब्याज दर दी जा रही है। उन्हें सुरक्षित मासिक ब्याज आय प्राप्त करने के लिए अपने पैसे को बैंक में जमा करवाने के लिए 1 लाख रूपये की उच्च कर कटौती की ज़रूरत है।
एन्यूटी आय पर टैक्स छूट लाभ को उपलब्ध कराना
वरिष्ठ नागरिकों द्वारा प्राप्त एन्यूटी आय पर लागू स्लैब दर के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। वरिष्ठ नागरिक बाद में टैक्स से बचने के लिए अधिक कम्मयूटेड पेंशन प्राप्त करना पसंद करते हैं। यदि अनकम्यूटेड पेंशन, जो सेवानिवृत होने वाला व्यक्ति एन्यूटी के रूप में प्राप्त करता है, उसे टैक्स-मुक्त (टैक्स-फ्री) कर दिया जाए, तो वे इससे बेहतर तरीके से नियमित आय की योजना बना सकें ताकि वे रिटायरमेंट के बाद अपने दैनिक खर्चों को पूरा कर सकें। इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों की भलाई के लिए सरकार को अनकम्यूटेड पेंशन को टैक्स-मुक्त कर देना चाहिए।
इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)