- हरदीप सिंह पुरी ने ग्लोबल एनर्जी संकट पर भारत की रणनीति के बारे में बताया।
- IEC-2022 के आठवें संस्करण की थीम 'द ग्रेट इंडियन डेमोक्रेटिक डिविडेंड' रखी गई है।
- आज कार्यक्रम के दूसरे दिन कई सेक्टर्स के बड़ी हस्तियां शामिल हुईं।
IEC 2022: टाइम्स नेटवर्क के कार्यक्रम 'इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव' के दूसरे दिन (शुक्रवार) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री और आवासन और शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शिरकत की। टाइम्स नेटवर्क की ग्रुप एडिटर और टाइम्स नाउ नवभारत की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार के साथ खास बातचीत में हरदीप सिंह पुरी ने तेल की कीमतों पर कई अहम जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग इस बात की गंभीरता को नहीं समझते हैं कि हम किस दौर से गुजर रहे हैं। श्रीलंका, नेपाल और पाकिस्तान जैसे देश संकट का सामना कर रहे हैं, जिसे समझने की जरूरत है। संकट सिर्फ रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से नहीं है।
हरदीप सिंह पुरी ने बताया क्यों ज्यादा हैं तेल की कीमतें
उन्होंने कहा कि, 'तेल की स्थिति कितनी गंभीर है? दुनिया में उपलब्ध तेल और डिमांड में कोई बदलाव नहीं होने वाला है। तेल की कीमतें इसलिए ज्यादा हैं क्योंकि जो लोग कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्होंने मांग की तुलना में स्पलाई निचले स्तर पर बनाए रखी है।' कच्चे तेल की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचना गंभीर बात है।
पुरी ने कहा कि सवाल यह है कि भारत कैसे मैनेज कर रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में हर रोज पेट्रोल पंप पर 6 करोड़ लोग जाते हैं। हमारी एक दिन की खपत 5 मिलियन बैरल है। हमें सिर्फ यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि केंद्र और राज्य जो कठोर निर्णय ले वह आपसी सहमति से लिए जाएं।
बीजेपी राज्यों ने केंद्र के अनुरूप घटाया वैट
साल 2010 में कांग्रेस सरकार ने पेट्रोल पर अहम फैसला लेकर कीमतों को डिरेग्युलेट कर दिया गया था। केंद्र पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज टैक्स लेता है और राज्य VAT वसूलते हैं। हम पेट्रोल-डीजल पर 32 रुपये प्रति लीटर चार्ज करते थे। फिर महामारी आई और सरकार की पैसों की जरूरत बढ़ी। सरकार की ओर से 80 करोड़ लोगों को दिन में 3 बार खाना खिलाया जाता है और यह सिलसिला अब भी जारी है। 182 करोड़ टीके की मुफ्त डोज लगाई गई है। बीजेपी राज्यों ने केंद्र के अनुरूप अपना वैट घटाया है और कीमतें कम हुई हैं। लेकिन गैर बीजेपी राज्यों की ओर से आलोचना हो रही है।
पुरी का गैर-बीजेपी राज्यों से सवाल
गैर बीजेपी राज्यों में लगभग 35 फीसदी वैट चार्ज किया जाता है। जैसे एक राज्य में 26 फीसदी वैट के साथ 10.12 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स भी लिया जाता है। एक अन्य राज्य में 31 फीसदी, 32 फीसदी और उससे भी ज्यादा वैट चार्ज किया जाता है। इसका अर्थ है कि अगर सालों पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत 50 डॉलर प्रति बैरल थी और अब जब यह 100 डॉलर प्रति बैरल है, तो आप अभी भी 32 फीसदी टैक्स कैसे वसूल सकते हैं। मैं समझ सकता हूं कि आपको राजस्व की आवश्यकता है, लेकिन मुझे ये समझाएं कि आप एक ही समय में आयातित शराब पर शुल्क को 300 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कैसे कर सकते हैं। मैं यह समझना चाहता हूं कि जब आपकी स्वयं की वैट दरें ज्यादा हैं, तो क्या आप मूल्य निर्धारण पर केंद्र की आलोचना कर सकते हैं?
गैर-बीजेपी राज्यों को कम करना चाहिए वैट
उन्होंने कहा कि सरकार को लोगों की परवाह है। गैर-भाजपा राज्यों की आलोचना करते हुए पुरी ने कहा कि वे भारी शुल्क वसूल रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य केंद्र की आलोचना नहीं कर सकते, जब उनके खुद के टैक्स बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से वैट कम करने को कहा। तेल की कीमत हम नहीं तय करते, वो ओएमसी द्वारा तय की जीती हैं। अगर दाम बढ़ रहे हैं, तो हम एक्साइज कम करते हैं। भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमने उत्पाद शुल्क कम किया, हम राज्यों से भी ऐसा ही करने की उम्मीद करते हैं।