- भारतीय रेलवे ने कवच टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया।
- ट्रायल रन लाइव देखने के लिए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी पहुंचे।
- फाइनल टेस्टिंग के दौरान खुद रेल मंत्री ने मोर्चा संभाला।
Indian Railways: देश की सबसे बड़ी सार्वजनिक परिवहन भारतीय रेलवे में सुरक्षा हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही हैं। इस कड़ी में शुक्रवार को रेलवे ने मेक इन इंडिया (Make In India) के तहत निर्मित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' (Kavach) का सफल परीक्षण किया। परीक्षण के मौके पर खुद रेल मंत्री इंजन में लोको पायलट के साथ मौजूद रहे। सिकंदराबाद में किया गया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर गुल्लागुड़ा रेलवे स्टेशन से आने वाली ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव वही दूसरे छोड़ चिठिगुड़ा रेलवे स्टेशन के तरफ से आने वाली लोको में चेयरमैन रेलवे बोर्ड वी के त्रिपाठी मौजूद थे। दोनों इंजन एक दूसरे के सामने आकर खड़ी हो गई। रेल मंत्री उंस वक्त खुद इंजन में लोको पायलट के हौसला बढ़ाने के लिए मौजूद थे।
जीरो एक्सीडेंट के लक्ष्य के लिए हुआ प्रणाली का निर्माण
सुरक्षा 'कवच' को रेलवे द्वारा दुनिया की सबसे सस्ती स्वचालित ट्रेन टक्कर सुरक्षा प्रणाली के रूप में विकसित किया जा रहा है। 'जीरो एक्सीडेंट' के लक्ष्य को प्राप्त करने में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली का निर्माण किया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी।
क्या है कवच प्रणाली? (What is Kavach)
कवच प्रणाली में हाई क्वालिटी रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग किया जाता है। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल-4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सुरक्षा प्रणाली का उच्चतम स्तर है। एक बार इस प्रणाली का शुभारंभ हो जाने पर पांच किलोमीटर की सीमा के भीतर की सभी ट्रेन बगल की पटरियों पर खड़ी ट्रेन की सुरक्षा के मद्देनजर रुक जायेंगी। कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक की गति के लिए अनुमोदित किया गया है।
कवच के लगने पर इतना होगा संचालन खर्च
इस डिजिटल प्रणाली से ह्यूमन एरर की वजह से होने वाली गलतियां जिनमें सिग्नल को नजरअंदाज करने या किसी अन्य खराबी पर ट्रेन के रुक जाने से ट्रेक पर आने वाली दूसरी ट्रेन को रोकने में कवच एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस तकनीकी की लागत और संचालन की बात करें तो जहां दुनियाभर में मौजूद तकनीकी की लागत प्रति किलोमीटर करीब दो करोड़ रुपये है। वहीं कवच के लगने पर संचालन खर्च 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर आएगा।
2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को कवच के तहत लाने की योजना है। दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है। कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है।