- एमसी की ओर से नारियल पानी बेचने वाले वेंडर्स को शहर के 26 इलाकों में जगह दी गई है
- 8 वाहन समूचे शहर से नारियल के खोल उठा रहे हैं
- प्रतिमाह करीब 29 टन कोकोनट शेल से ईंधन व रस्सी बनाई जा रही है
Chandigarh : देश के साफ सुथरे बेहतरीन शहरों में शुमार चंडीगढ़ में अब सफाई को लेकर नगर निगम और सजग हो रहा है। दरअसल, सफाई के बाद कचरे का निस्तारण एक बड़ी समस्या है। शहरों के बाहर डंपिग यार्ड शहर की सफाई व्यवस्था का मखौल उड़ाते हैं। मगर अब चंडीगढ़ नगर निगम इसका भी हल ढूंढ लाया है। नारियल पानी पीने के बाद जिस कोकोनट शेल यानी खोल को आप बेकार समझ कर फेंक देते हो, उससे अब निगम करोड़ों कमाने की दिशा में काम कर रहा है।
नगर निगम के वेस्ट कलेक्शन लिफ्ट करने वाले वाहन कोकोनट के खाली शेल को समूचे चंडीगढ़ से एकत्रित कर रहे हैं। आपको बता दें कि एकत्रित किए गए बेकार खोल को शहर के गार्बेज प्रोसेसिंग इकाई में ले जाया जाता है। यहां इनको प्रोसेस करने के बाद एनर्जी के तौर पर उपयोग में लाया जा रहा है। कारीगर कोकोनट के वेस्ट शेल से रस्सियां भी बना रहे हैं।
ऐसे एकत्रित किए जा रहे हैं शेल
निगम के अधिकारी बताते हैं कि शुरुआती दौर में फिलहाल स्पेशल तौर पर 8 वाहन समूचे शहर से नारियल के खोल उठा रहे हैं। योजना को लेकर निगम आयुक्त अनिंदिता मित्रा ने बताया कि चंडीगढ़ एमसी की ओर से नारियल पानी बेचने वाले वेंडर्स को शहर के 26 इलाकों में जगह दी गई है। उन्होंने बताया कि ई-निविदा के जरिए हर एक प्वॉइंट की नीलामी की जाएगी। आयुक्त के मुताबिक योजना के शुरू होने से लेकर अब तक 29.135 मिट्रिक टन कोकोनट शेल काम में लिए जा चुके हैं।
जानिए क्या खासियत है कोकोनट की
निगम आयुक्त मित्रा ने बताया कि कोकोनट खोल में एक्टिव कार्बन होता है। इसे फ्यूल में बदल कोयले के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कोकोनट शेल की हार्ड व गहरी बनावट के साथ ही ये पुराना हो जाता है तो इससे एक्टिव कार्बन बनाने में आसानी रहती है। आयुक्त के अनुसार निगम की प्रोसेसिंग इकाई में प्रतिमाह करीब 29 टन कोकोनट शेल से ईंधन व रस्सी बनाई जा रही है। इधर, प्रकृति व पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो निगम की ये योजना पर्यावरण सुधार की दिशा में एक कारगर कदम होगा। एनवायरनमेंट से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे शहर की सफाई में चार चांद तो लगेंगे ही लोगों को कुदरत का महत्व भी समझ में आएगा।