- पंजाब सरकार ने नई आबकारी नीति को दी मंजूरी
- राज्य में एक जुलाई से लागू होगी नई आबकारी नीति
- शराब की कीमतों में होगी 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट
Punjab Excise Policy: पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार ने राज्य में शराबियों को खुश होने और झूमने का बड़ा मौका दिया है। राज्य में शराब की कीमतों में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है। इसके लिए राज्य सरकार ने अपनी पहली आबकारी नीति को मंजूरी दे दी। पंजाब की आप सरकार ने इस वित्त वर्ष में शराब कारोबार से 9,647.85 करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत अधिक है। नई आबकारी नीति को यह मंजूरी मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में दी गई।
बता दें कि, पंजाब में सरकार की पुरानी आबकारी नीति जून माह में समाप्त होने वाली है, जिसके बाद 1 जुलाई से नई आबकारी नीति लागू की जाएगी। इस साल सरकार नई आबकारी नीति बनाने में जुटी थी, इसलिए वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले तीन महीनों के लिए पुरानी आबकारी नीति को ही मंजूरी दी गई थी। इस तीन माह में नवीनीकरण की अनुमति सिर्फ उन मौजूदा लाइसेंसधारियों को दी गई, जो शराब में स्थिरता बनाए रखने के लिए अपने शराब के ठेकों और क्षेत्रों के अंदर न्यूनतम गारंटी राजस्व (एमजीआर) से 1.75% से अधिक राजस्व दे सकें।
सरकार का मानना, नई आबकारी नीति से मिलेगा फायदा
नई आबकारी नीति को लेकर आ रही राज्य सरकार का मनना है कि, इससे पहले राज्य में बनी आबकारी नीतियों से सरकारी खजाने को नहीं भरा जा सका है। इसलिए आर्थिक मंदी से गुजर रहे पंजाब सरकार अपने खजाने में इजाफा करने के लिए आबकारी नीति में यह बड़ा बदलाव किया है। राज्य सरकार का मानना है कि, यहां शराब के रेट कम होने के कारण पड़ोसी राज्यों से तस्करी नहीं होगी, जिससे शराब की बिक्री में भारी इजाफा होगा। इस नीति को बनाने के साथ राज्य से दूसरे राज्यों में शराब तस्करी रोकने के लिए भी दो अतिरिक्त बटालियन कर व आबकारी विभाग को सौंप गई है। राज्य सरकार ने अभी अपने नई आबकारी नीति के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सरकार ने अंग्रेजी शराब पर लगने वाले आबकारी ड्यूटी को 350 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत कर दिया है। वहीं देसी शराब पर लगने वाले आबकारी ड्यूटी को 250 से कम करके मात्र 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पंजाब में शराब की कीमत कुछ पड़ोसी राज्यों के बराबर तो कुछ कम हो गई हैं।