- भारत और न्यूजीलैंड के बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल
- साउथैम्प्टन में खेला जाएगा डब्ल्यूटीसी फाइनल
- आकाश चोपड़ा ने आईसीसी पर जमकर भड़ास निकाली
नई दिल्ली: भारतीय टेस्ट टीम के पूर्व ओपनर आकाश चोपड़ा ने आईसीसी के विश्व टेस्ट चैंपियनशिप प्रारूप पर नाखुशी जाहिर की है। चोपड़ा का मानना है कि शीर्ष आठ टीमों में सबसे कम टेस्ट खेलने वाली टीम फाइनल में पहुंच गई, जिसमें बदलाव की जरूरत है। क्रिकेटर से कमेंटेटर बने आकाश चोपड़ा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर टीमों के बीच टेस्ट खेलने का बड़ा फर्क बताया और डब्ल्यूटीसी नियम में बदलाव की गुजारिश की।
चोपड़ा ने ट्वीट करके जानकारी दी कि न्यूजीलैंड ने डब्ल्यूटीसी के दौरान दो साल में केवल 11 टेस्ट खेले और वह फाइनल में पहुंच गई जबकि इंग्लैंड ने इस दौरान 21 टेस्ट खेले, लेकिन अंकों को सीरीज में बाटने के कारण उसे नुकसान झेलना पड़ा। याद दिला दें कि आईसीसी ने प्रत्येक सीरीज 120 अंक की रखी थी। इसमें टीमों को दो से पांच टेस्ट तक की सीरीज खेलनी थी। अगर दो टेस्ट खेले जाते हैं तो एक मैच जीतने पर 60 अंक मिलते थे। इंग्लैंड ने इस दौरान चार या पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेली और चार मैचों की सीरीज में उसे एक टेस्ट जीतने पर 30 अंक मिलते थे।
आकाश चोपड़ा ने इस कमी को अपने ट्वीट के जरिये उजागर किया है। हालांकि, कोरोना वायरस महामारी के कारण डब्ल्यूटीसी के अंक प्रणाली में बदलाव किया गया था और इसे विजयी प्रतिशत के आधार पर शीर्ष टीम का फैसला करने की अनुमति दी गई थी। याद हो कि डब्ल्यूटीसी में शामिल टीमों को कुल छह टेस्ट सीरीज (तीन घर और तीन बाहर) खेलनी थी। जिस टीम के सबसे ज्यादा अंक होने थे, वह फाइनल में पहुंचता।
आकाश चोपड़ा ने ट्वीट किया, 'यह देखिए कि डब्ल्यूटीसी साइकिल में दो साल में न्यूजीलैंड ने 11 जबकि इंग्लैंड ने 21 टेस्ट खेले। न्यूजीलैंड शीर्ष-8 में एकमात्र ऐसी टीम है, जिसने सबसे कम टेस्ट खेले है। यह बिलकुल बदलना चाहिए।' चोपड़ा ने इसी के साथ सभी देशों के सीरीज का ब्यौरा भी दिया है। बता दें कि न्यूजीलैंड ने डब्ल्यूटीसी साइकिल में कुल 11 टेस्ट खेले, जिसमें सात जीते और चार में उसे शिकस्त मिली। इस तरह उसका जीत का प्रतिशत 70 रहा और वह फाइनल में क्वालीफाई करने वाली पहली टीम बनी।
वहीं इंग्लैंड और भारत के बीच फाइनल में पहुंचने की टक्कर हुई थी। भारत ने हालांकि, इसी साल घरेलू जमीन पर इंग्लैंड को 3-1 से मात देकर फाइनल में अपनी जगह पक्की की। विराट कोहली के नेतृत्व वाली भारतीय टीम का विजयी प्रतिशत 72.2 रहा। इंग्लैंड की टीम 61.4 विजयी प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर रही। 69.2 विजयी प्रतिशत के साथ ऑस्ट्रेलिया तीसरे स्थान पर रहा।
सिर्फ एक फाइनल क्यों
आकाश चोपड़ा ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के प्रारूप की भी आलोचना की है। चोपड़ा के मुताबिक दो साल लंबे टूर्नामेंट के विजेता का फैसला एक टेस्ट के आधार पर करना नाइंसाफी है। इससे पहले टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री ने भी डब्ल्यूटीसी फाइनल को बेस्ट ऑफ थ्री कराने की सलाह दी थी। हालांकि, आईसीसी ने जवाब दिया था कि यह वास्तिवक विकल्प नहीं क्योंकि क्रिकेट कैलेंडर पूरी तरह व्यस्त है।
पाकिस्तानी क्रिकेटर कामरान अकमल के साथ यूट्यूब चैनल पर बातचीत करते हुए चोपड़ा ने कहा, 'दो साल की कड़ी मेहनत के बाद आप अन्य देश में एक टेस्ट खेलकर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप विजेता का फैसला कर रह रहे हैं। मैं यह प्रारूप समझ नहीं सका। अगर आपको अन्य देश में डब्ल्यूटीसी फाइनल कराना है तो कम से कम तीन टेस्ट तो रखिए।' चोपड़ा ने उम्मीद जताई कि आईसीसी आगे इन चीजों का खास ख्याल रखेगा और डब्ल्यूटीसी साइकिल को ज्यादा रोमांचकारी बनाएगा।