- वेस्टइंडीज दौरे से पाकिस्तानी टीम की वापसी के बाद मिस्बाह उल हक और वकार यूनिस ने दिया था पद से इस्तीफा
- टी20 वर्ल्ड कप से ठीक पहले दोनों ने लिया ये फैसला, इसलिए हो रही है आलोचना
- सकलैन मुश्ताक और अब्दुल रज्जाक अस्थाई तौर पर संभाल रहे हैं टीम की जिम्मेदारी
कराची: टी20 विश्व कप से ठीक पहले पाकिस्तान मुख्य कोच मिस्बाह उल हक और गेंदबाजी कोच वकार यूनिस ने अपना पद छोड़ दिया। इसके बाद से ही दोनों को हर तरफ से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज अकीब जावेद ने वकार यूनिस पर करारा हमला किया है। जावेद ने वकार को सलाह दी है को वो कॉमेंट्री बॉक्स में जाने से पहले अपना ध्यान ये सीखने पर लगाएं कि कोचिंग कैसे दी जाती है।
अकीब जावेद ने कहा, जब कभी वकार यूनिस कोचिंग का काम छोड़ते हैं वो उसके बाद कॉमेंट्री करने चले जाते हैं। वो केवल दो काम करते हैं कोचिंग और कॉमेंन्टिंग। जब भी उनके हाथ से कोचिंग की जिम्मेदारी जाती है तो वो उससे सीख नहीं लेते हैं। ऐसे में मेरी सलाह है कि वो इस बार ये सीखें की कोचिंग कैसे दी जाती है।
खिलाड़ी को भी नहीं मिलते वापसी के इतने मौके
अकीब जावेद ने पीसीबी के क्रिकेट प्रशासकों की भी जमकर लताड़ लगाई और कहा पिछले 15 साल में वकार यूनिस पाकिस्तानी टीम को पांच बार कोचिंग दे चुके हैं। कभी वो हेड कोच होते हैं कभी गेंदबाजी कोच। इतने मौके तो एक खिलाड़ी को भी टीम में वापसी के लिए नहीं मिलते। लेकिन यहां कोच लगातार वापसी कर रहे हैं।
अकीब जावेद ने बोर्ड की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, बोर्ड ऐसे लोगों को राष्ट्रीय टीम का कोच चुनता है जो प्रोफेशनल नहीं हैं। पीसीबी दिग्गज खिलाड़ियों को कोच चुनता है और सोचता है कि वो लोग खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दे सकते हैं।
पाकिस्तान में नहीं हैं प्रोफेशनल कोच
उन्होंने कहा, न तो हमारी ए टीमों के पास क्वालिटी कोच हैं न नेशनल परफॉर्मेंस सेंटर में। जहां कहीं भी जो लोग कोच की भूमिका में हैं वो क्वालीफाईड नहीं हैं। मैंने पहले भी कहा है कि किसी को अपने जीवन में कोचिंग का एक दिन का अनुभव नहीं है उसके राष्ट्रीय टीम का हेड कोच बना दिया जाता है। ये बात अकीब ने मिस्बाह उल हक को कोच नियुक्त किए जाने के बाद कही थी।
पूर्व दिग्गज गेंदबाज का मानना है कि कोचिंग देना और खेलना ये अपने आप में दो अगल विधाएं हैं। उन्होंने जावेद मियांदाद का उदाहरण देते हुए कहा, प्रोफेशनल ट्रेनिंग के बगैर कोचिंग में सफल नहीं हो सके क्योंकि क्रिकेट खेलने और कोचिंग देने में फर्क होता है।