- आईसीसी समिति ने गेंद पर लार का इस्तेमाल करने पर बैन की सिफारिश की
- आईसीसी समिति ने गैर तटस्थ अंपायर रखने की सलाह दी
- समिति ने डीआरएस समीक्षा के मौके दो के बजाय 3 करने की सिफारिश भी की
नई दिल्ली: क्रिकेट गेंद को चमकाने के लिए लार का इस्तेमाल करने के अपने पुराने चलन को अलविदा कहने के लिए तैयार है क्योंकि अनिल कुंबले की अगुवाई वाली आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) क्रिकेट समिति ने सोमवार को कोविड-19 महामारी को देखते हुए इस पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। आईसीसी क्रिकेट समिति को हालांकि पसीने के उपयोग में किसी तरह से स्वास्थ्य को खतरा नजर नहीं आता।
समिति ने वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये बैठक में सभी अंतरराष्ट्रीय मैचों के लिए फिर से दो गैर तटस्थ अंपायरों (दोनों मेजबान देश के) को रखने की भी सिफारिश की क्योंकि निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) से सटीक फैसला दिया जाएगा। समिति ने इसके अलावा प्रत्येक पारी में डीआरएस समीक्षा के मौके दो के बजाय तीन करने की सिफारिश भी की।
कुंबले ने आईसीसी की विज्ञप्ति में कहा, 'हम बेहद विषम दौर से गुजर रहे हैं और समिति ने आज जो सिफारिशें की है वे क्रिकेट का मूल स्वरूप कायम रखते हुए खेल को सुरक्षित तरीके से शुरू करने के लिये अंतरिम उपाय हैं। आईसीसी क्रिकेट समिति ने आईसीसी चिकित्सा सलाहकार समिति के डॉ. पीटर हरकोर्ट से लार के माध्यम से वायरस के संक्रमण का जोखिम बढ़ने के बारे में सुना और गेंद को चमकाने के लिए लार का उपयोग बंद करने पर सर्वसम्मति से सहमित जताई।' गेंदबाज हालांकि गेंद को चमकाने के लिये पसीने का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि इससे वायरस का संक्रमण नहीं होता है।
पसीने से नहीं है जोखिम
विज्ञप्ति में कहा गया है, 'समिति ने चिकित्सा सलाहकारों की बात पर ध्यान दिया कि पसीने के जरिये वायरस के प्रसार की संभावना बेहद कम है। इसलिए गेंद को चमकाने के लिये पसीने के उपयोग पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है।' क्रिकेट की गेंद विशेष कर लाल गेंद पर लार का उपयोग गेंद पर चमक बनाने और उससे स्विंग हासिल करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसे अब स्वास्थ्य के लिए जोखिम के तौर पर देखा जा रहा है।
बैठक में जिस अन्य महत्वपूर्ण मसले पर चर्चा हुई वह कुछ समय के लिए द्विपक्षीय सीरीज में फिर से गैर तटस्थ अंपायरों को नियुक्त करना है। विज्ञप्ति में कहा गया है, 'राष्ट्रीय सीमाएं बंद होने, सीमित व्यावसायिक उड़ानों और अनिवार्य पृथकवास के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा की चुनौतियों को देखते हुए समिति कुछ समय के लिए स्थानीय मैच अधिकारियों की नियुक्ति करने की सिफारिश करती है।' मैचों में दो तटस्थ अंपायरों को रखने का नियम 2002 से लागू हुआ था। इससे पहले 1994 से लेकर 2001 तक एक स्थानीय और एक तटस्थ अंपायर रहता था।
आईसीसी स्थानीय एलीट और अंतरराष्ट्रीय पैनल के रेफरी और अंपायरों में से नियुक्ति करेगी। जिस देश में एलीट पैनल के मैच अधिकारी नहीं है वहां अंतरराष्ट्रीय पैनल के मैच अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी। इसका मतलब है कि अनिल चौधरी, शम्सुद्दीन और नितिन मेनन स्वदेश में टेस्ट मैचों में अंपायरिंग कर सकते हैं। इस सिफारिशों को मंजूरी के लिये आईसीसी बोर्ड के सामने रखा जाएगा।