क्रिकेट में स्लेजिंग (छींटाकशी) का इस्तेमाल ज्यादातर बल्लेबाज या गेंदबाज का ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है। कई बार मैदान पर बात स्लेजिंग से बढ़करतू तू-मैं मैं और गाली-गलौज तक भी पहुंच जाती है। भारत के पिछले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर स्लेजिंग के कई मामले सामने आए थे। दोनों टीमों के बीच अब एक बार फिर टक्कर होने जा रही तो छींटाकशी को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। भारतीय टीम 27 नवंबर से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दौरे का आगाज करेगी। सीरीज शुरू होने से पहले कंगारू टीम के हेड कोच जस्टिन लैंगर ने साफतौर पर कहा है कि मुकाबलों के दौरान बिलकुल भी गाली-गलौज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
'मैच में हंसी-मजाक के लिए बहुत जगह है'
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी अपनी स्लेजिंग के लिए जाने जाते हैं, जिससे कई बार विवाद देखने को मिला है। लैंगर ने भरोसा दिलाया कि उनकी टीम अब कठोर स्लेजिंग करने की आदत को पीछे छोड़ चुकी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी खेल की भावना के अनुरूप ही बर्ताव करेंगे। उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'मैच में हंसी-मजाक और मौज-मस्ती के लिए बहुत जगह है। साथ ही प्रतिस्पर्धी प्रवृत्ति का भी स्थान है। लेकिन गाली-गलौज के लिए कोई जगह नहीं है।' बता दें कि लैंगर ने साल 2018 में दक्षिण अफ्रीका में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के गेंद से छेड़छाड़ के मामले के बाद कोच पद की जिम्मेदारी संभाली थी।
'इस सीरीज को देखना शानदार मनोरंजन'
लैंगर के ऑस्ट्रेलियाई टीम का कोच बनने के बाद से खिलाड़ियों की किसी भी कीमत पर जीत हासिल करने की मानसिकता को बदलने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि कभी ऑस्ट्रेलिया टीम का ऐसा माहौल था कि कंगारू खिलाड़ी स्लेजिंग और गाली-गलौज के लिए बदनाम थे। अब माहौल बदल गया है। उन्होंने कहा, 'लोगों ने देखा कि पिछले कुछ वर्षों में क्या बदलाव हुआ है। हमने मैदान पर अपने व्यवहार के बारे में बात की है।' उन्होंने कहा, 'ऑस्ट्रेलिया और भारत की सीरीज को देखना शानदार मनोरंजन होगा। "उम्मीद है कि यह लोगों के चेहरों पर कुछ मुस्कुराहट लेकर आएगी।'