- बांग्लादेश महिला क्रिकेट टीम की जहानारा आलम मंगलवार को अपना 27वां जन्मदिन मना रही हैं
- आलम ने अपने जन्मदिन पर 50 जरुरतमंद परिवारों को घर-घर जाकर राशन और अन्य जरुरत की चीजें बाटी
- कोरोनावायरस के कारण बांग्लादेश के हालात भी खराब हैं
ढाका: बांग्लादेश महिला क्रिकेट टीम की तेज गेंदबाज जहानारा आलम मंगलवार को अपना 27वां जन्मदिन मना रही हैं। कोरोनावायरस की महामारी के बीच आलम ने दरियादिली दिखाई और जरुरतमंदों की मदद करके अपना जन्मदिन खास बना दिया। तेज गेंदबाज 1 अप्रैल को 27 साल की हुईं। उन्होंने घर-घर जाकर 50 जरुरतमंद परिवारों को राशन और अन्य जरुरत की चीजें वितरीत की। बड़ी बात यह है कि आलम ने यह सब खुद ही किया। दुनिया की तरह बांग्लादेश में भी कोरोनावायरस का कहर है, लेकिन इससे जहानारा की बहादुरी पर कोई असर नहीं पड़ा।
महिला क्रिकेटर ने अपना जन्मदिन अधिक रंगीन बनाया। उन्होंने लोगों को घर-घर जाकर राशन और अन्य जरुरत की चीजें दीं। इस बारे में पूछने पर 27 साल की आलम काफी खुश नजर आईं और कहा कि संकट की घड़ी में एक-दूसरे से प्रेरणा लेते हुए इस तरह आगे बढ़ने की जरुरत है।
इससे लोगों को मिलेगी प्रेरणा
जहानारा आलम के हवाले से बीडीक्रिकटाइम ने कहा, 'मैं कोई दिखावा नहीं करना चाहती। मगर एक को दूसरे से प्रेरणा और उत्साह मिलता है। मैं ढाका में हूं और इसलिए अपने काम स्वंय कर रही हूं। मुझे इसके लिए खुद को तैयार करने में तीन दिन लगे। आज ऊपरवाले ने इन सामान को पहुंचाने में मेरी मदद की।' जहानारा को लोगों से सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि रोजाना हमारे बीच भोजन को लेकर टसल होती है। खुलना में जन्मी क्रिकेटर ने इसलिए यह पहल की और मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए।
उन्होंने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि लोग उनसे प्रेरित होंगे, जो मदद के लिए आगे आ रहे हैं। अगर कोई एक व्यक्ति की भी मदद कर सके या एक परिवार की तो भी अच्छी बात है। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे समाज का बड़ा हिस्सा, लोग भोजन के लिए लड़ते हैं। अगर उनके पास दिन का खाना है तो रात के भोजन का अता-पता नहीं होता। इसलिए इस राज्य में वह घर में रहने की जिम्मेदारी नहीं ले सकते। उन्हें सबसे पहले रोजाना भोजन की जरुरत है। इनकी मदद करना जरूरी है। घर जाकर लोगों को सामान देना चाहिए। इसके चलते ही वह खतरे से निकल सकेंगे।'
बांग्लादेशी क्रिकेटरों ने किया दान
जहानारा आलम के अलावा कई बांग्लादेशी क्रिकेटरों ने भी लोगों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं। मशरफे मुर्तजा और मोसद्देक हुसैन ने कुछ परिवारों की जिम्मेदारी उठाई है। शाकिब अल हसन ने अपनी फाउंडेशन द्वारा योगदान दिया। इससे पहले 27 बांग्लादेशी क्रिकेटरों ने अपने महीने की आधी सैलरी डोनेट कर दी। वैट घटाने के बाद करीब 26 लाख टका इकट्ठा हुआ है।