नई दिल्ली। क्रिकेट जगत में कई खिलाड़ियों ने खूब नाम कमाया, कोई रिकॉर्ड्स के शिखर पर चढ़ा तो किसी ने छोटे करियर के दम पर ही अपनी छाप छोड़ दी। खेल की दुनिया में पहली बार में अपनी छोड़ना आसान नहीं होता है। पहली झलक अच्छी हो तो लोग आपको भविष्य के रूप में देखने लगते हैं। आज से ठीक 91 साल पहले भी क्रिकेट के मैदान पर कुछ ऐसा ही हुआ था। उस दिन सबके चेहरे खिल उठे थे लेकिन फिर कुछ सालों में सारे सपने चकनाचूर हो गए।
वो अद्भुत खिलाड़ी
यहां हम बात कर रहे हैं आर्ची जैक्सन की। कम ही लोगों ने इस खिलाड़ी का नाम सुना होगा, लेकिन वो एक ऐसा खिलाड़ी था जिसने अपने छोटे से करियर में ऐसी छाप छोड़ी कि दुनिया उनकी तुलना ऑस्ट्रेलिया के महानतम बल्लेबाज डॉन बैडमेन से करने लगे थे। बहुत से दिग्गजों ने साफ तौर पर कहना शुरू कर दिया था कि आर्ची जैक्सन जैसा बल्लेबाज ना हुआ था और ना आगे कभी होगा। इस बल्लेबाज के खेलने का तरीका, उनके शॉट्स ने दुनिया को मुग्ध कर लिया था।
वो ऐतिहासिक दिन
वो आज की तारीख ही थी जब 1929 में एडिलेड के मैदान पर 19 साल के आर्ची जैक्सन को पहली बार अपने देश से खेलने का मौका मिला। इतनी कम उम्र में टेस्ट डेब्यू करने उतरना और वो क्रिकेट के जनक इंग्लैंड के खिलाफ, ये आसान नहीं था। मैदान पर डॉन ब्रैडमेन सहित कई महान खिलाड़ी मौजूद थे, उनके सामने लारवुड और जैक वाइट जैसे दिग्गज अंग्रेज गेंदबाज थे। लेकिन ओपनिंग करने उतरे युवा आर्ची जैक्सन ने 5 घंटे 20 मिनट तक बल्लेबाजी की और 164 रन बना डाले। उन्होंने 331 गेंदों का सामना किया जिस दौरान उनके बल्ले से 15 चौके निकले। वो भी इतनी कठिन पिच पर जिस पर महान डॉन ब्रैडमैन भी खेलने उतरे और 40 रन पर पवेलियन लौट गए। इंग्लैंड ने पहली पारी में 334 रन बनाए थे, जबकि आर्ची के दम पर ऑस्ट्रेलिया ने ऐसी पिच पर भी 369 रन बना दिए।
फिर दूसरी पारी में इंग्लैंड ने 383 रन बनाते हुए ऑस्ट्रेलिया के सामने 349 रनों का लक्ष्य रखा। दूसरी पारी में भी 19 वर्षीय आर्ची जैक्सन ने अपने संयम का सबूत पेश किया और 36 रनों की पारी के दौरान वो 118 गेंदों तक टिके रहे थे। दुर्भाग्यवश ऑस्ट्रेलिया 336 रनों पर सिमट गई और इंग्लैंड ने रोमांचक अंदाज में ये मैच 12 रनों से जीत लिया। मैच तो खत्म हो गया लेकिन 19 वर्षीय आर्ची के चर्चे हर ओर शुरू हो चुके थे।
आखिर फिर हुआ क्या?
आर्ची जैक्सन को मीडिया व क्रिकेट फैंस ने डॉन ब्रैडमैन से भी बेहतर खिलाड़ी घोषित कर दिया था। हर जगह उनके चर्चे थे लेकिन अचानक उन्हें टीबी (Tuberculosis) की बीमारी ने घेर लिया। उन दिनों इस बीमारी का इलाज नहीं होता था, आर्ची ने काफी संघर्ष किया लेकिन करियर शुरू होने के चार साल के अंदर 16 फरवरी 1933 को उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी उम्र उस समय सिर्फ 23 साल थी। छोटे से करियर में उन्होंने 70 प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेल डाले थे जिसमें 11 शतक और 23 अर्धशतक के दम पर उन्होंने 4383 रन बनाए। लेकिन ये सफर ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका। जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तो हजारों क्रिकेट फैंस उनको विदा करने पहुंचे थे और दुनिया भर में क्रिकेट फैंस की आंखें नम थीं।