- दिलीप वेंगसरकर ने बीसीसीआई को सलाह दी कि द्रविड़ को ऑस्ट्रेलिया भेजा जाए
- टीम इंडिया को पहले टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 8 विकेट की शिकस्त झेलनी पड़ी
- वेंगसरकर ने कहा कि नेट्स पर द्रविड़ की मौजूदगी भारतीय टीम के लिए संजीवनी का काम करेगी
नई दिल्ली: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और प्रमुख चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को सलाह दी है कि वो मौजूदा टेस्ट सीरीज में संघर्षरत टीम इंडिया के पास राहुल द्रविड़ को भेजे। पैट कमिंस (4/21) और जोश हेजलवुड (5/8) ने सनसनीखेज प्रदर्शन करते हुए भारत को उसके सबसे छोटे स्कोर 36 रन पर रोक दिया। ऑस्ट्रेलिया ने 8 विकेट से मैच जीतकर चार मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली है।
दिलीप वेंगसरकर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यु में कहा कि पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ की नेट्स पर उपस्थिति भारतीय टीम के लिए संजीवनी बूटी साबित हो सकती है। वेंगसरकर ने कहा, 'बीसीसीआई को द्रविड़ को ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहिए ताकि भारतीय टीम की मदद हो सके। द्रविड़ के अलावा कोई और बल्लेबाज बेहतर मार्गदर्शन नहीं दे पाएगा कि ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में मूव होती गेंदों को कैसे खेलना है। उनकी नेट्स पर उपस्थिति भारतीय टीम के लिए वरदान साबित होगी। पिछले 9 महीने से कोविड के कारण एनसीए बंद है और उन्हें भेजने में देरी नहीं करनी चाहिए।'
द्रविड़ को ज्यादा शामिल करने की जरूरत: वेंगसरकर
राहुल द्रविड़ इस समय बीसीसीआई की राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी (एनसीए) के अध्यक्ष पद पर हैं। वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई को 14 दिन पृथकवास नियम रहने के बावजूद द्रविड़ को भेजना चाहिए क्योंकि ऐसे में पूर्व कप्तान तीसरे टेस्ट से पहले टीम की मदद कर पाएंगे, जिसकी शुरूआत 7 जनवरी से होगी।
वेंगसरकर ने कहा, 'अगर राहुल द्रविड़ को दो सप्ताह का अनिवार्य पृथकवास अवधि पूरी भी करनी पड़ी तो वह सिडनी में होने वाले तीसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया के लिए नेट्स पर उपलब्ध रहेंगे। तीसरा टेस्ट 7 जनवरी से शुरू होगा। अब समय है कि द्रविड़ को भारतीय टीम के साथ ज्यादा शामिल रहने को कहा जाने की जरूरत है।'
बता दें कि टीम इंडिया के नियमित कप्तान विराट कोहली दूसरे टेस्ट से उपलब्ध नहीं रहेंगे। वह अपने पहले बच्चे के स्वागत के लिए पत्नी अनुष्का शर्मा के पास लौट रहे हैं। भारतीय टीम अपने कप्तान के बिना काफी कमजोर हो जाएगी और उस पर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी हारने का खतरा मंडरा रहा है। अब यह देखना होगा कि दिलीप वेंगसरकर की राय बीसीसीआई मानता है या नहीं।