- भानुका राजपक्षे ने 5 जनवरी को किया था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान
- खेल मंत्री ने उनसे किया था संन्यास के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध
- खेल मंत्री से मुलाकात के बाद भानुरा ने किया वापसी का फैसला
कोलंबो: हाल ही में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान करने वाले श्रीलंकाई खिलाड़ी भानुका राजपक्षे ने महज 8 दिन बाद अपने फैसला बदल लिया है। 30 वर्षीय भानुका ने 5 जनवरी को पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया था।
भानुका के इस फैसले के बाद श्रीलंका क्रिकेट में अफरा-तफरी मच गई थी। ऐसे में श्रीलंका के खेल मंत्री ने 9 जनवरी को उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था। 12 फरवरी को उनकी खेल मंत्री के नमल राजपक्षे साथ मुलाकात हुई और 13 फरवरी को उन्होंने संन्यास से वापसी की घोषणा कर दी। श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के सचिव मोहन डिसिल्वा ने भी उनकी संन्यास से वापसी की आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर दी है।
जुलाई 2021 में किया था वनडे डेब्यू
30 वर्षीय राजपक्षे के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत पाकिस्तान दौरे पर साल 2019 में हुई थी। उन्होंने लाहौर में टी20 डेब्यू किया था। वह टी20 विश्व कप 2021 में श्रीलंका की टीम का हिस्सा थे और उन्होंने 155 रन बनाये थे। उन्होंने श्रीलंका के लिये पांच वनडे और 18 टी20 खेलकर 409 रन बनाये। वहीं उन्होंने भारत के खिलाफ जुलाई 2021 में वनडे करियर का आगाज किया था।
डेब्यू टी20 सीरीज में मचाया था धमाल
साल 2019 में जब सीनियर खिलाड़ियों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए पाकिस्तान दौरे पर जाने से इनकार कर दिया था। तब पाकिस्तान दौरे पर गई श्रीलंकाई टीम ने युवा खिलाड़ियों के दम पर जमकर धमाल मचाया था और पाकिस्तान को टी20 सीरीज में 3-0 के अंतर से मात दी थी। इस सीरीज के पहले मैच में भानुका राजपक्षे ने डेब्यू किया था और 32 रन की पारी खेलकर अपनी टीम की जीत में योगदान दिया था। सीरीज के दूसरे मैच में उन्होंने 48 गेंद में 77 रन की धमाकेदार पारी खेलकर अपनी टीम को जीत दिलाई थी। इस मैच में उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया था।
सीनियर टीम में एंट्री करने में लगे 10 साल
साल 2010 में अंडर-19 वर्ल्ड कप में वो श्रीलंका की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे। उन्हें सीनियर टीम में एंट्री करने के लिए 10 साल लंबा इंतजार करना पड़ा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौका नहीं मिलने के कारण उनके लिए दुनियाभर की विभिन्न टी20 लीग के दरवाजे नहीं खुले थे।