- जो रूट ने बताया सेहत के लिए हानिकारक होती जा रही थी कप्तानी
- कप्तानी के दबाव का पारिवारिक जीवन पर पड़ रहा था असर
- नई भूमिका में टीम को दोबारा मजबूत बनाने के लिए करेंगे काम
लंदन: पांच साल बाद इंग्लैंड की टेस्ट कप्तानी के बोझ से मुक्त होने के बाद जो रूट ने बतौर खिलाड़ी खेलते हुए न्यूजीलैंड के खिलाफ लॉर्ड्स टेस्ट में शानदार शतक जड़ा। चौथी पारी में जीत के लिए 277 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होंने नाबाज 115* रन की पारी खेली। इसके लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया। कप्तानी की जिम्मेदारी छोड़ने के बाद रूट बेहद रिलेक्स नजर आ रहे थे।
कप्तानी का पड़ रहा था सेहत पर बुरा असर
ऐसे में इंग्लैंड की लॉर्ड्स में 5 विकेट से जीत के बाद जो रूट ने बताया कि वो कप्तानी छोड़ने बाद कितना अच्छा महसूस कर रहे हैं। कप्तानी उनकी सेहत के लिए कैसे हानिकारक बनती जा रही थी इस बात का खुलासा उन्होंने प्लेयर ऑफ द मैच चुने जाने के बाद किया।रूट ने कहा, ईमानदारी से कहूं तो कप्तानी का मेरी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा था। मैं बतौर कप्तान टीम की जिम्मेदारी को मैदान पर नहीं छोड़ पा रहा था। कप्तानी का दबाव और तनाव मेरे घर तक पहुंच रहा था। ऐसा होना मेरे परिवार, दोस्तों और करीबी लोगों के साथ ज्यादती थी। मेरे लिए भी यह व्यक्तिगत तौर पर अच्छा नहीं था।'
इंग्लैंड को दोबारा मजबूत बनाने के लिए करेंगे यथा संभव मदद
31 वर्षीय रूट ने कहा, मैंने टीम की कमान संभालते हुए अपनी ओर से सबकुछ किया और टीम के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार था। लेकिन कुछ साले बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि यह काम दूसरे तरीके से करना चाहिए था। रूट ने कहा, आगे वो इंग्लैंड को टेस्ट क्रिकेट की फिर से एक प्रभावशाली टीम बनाने में प्रभावशाली भूमिका निभाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, इसके लिए मैं बेहद उत्साहित हूं। मैं टीम को फिर से मजबूत टीम बनाने के बेन (स्टोक्स) की यथा संभव मदद करने को तैयार हूं।
कप्तानी में न्यौछावर कर दिया सर्वस्व
उन्होंने अंत में कहा, मैं ऐसी स्थिति में हूं जहां टीम का नेतृत्व किसी और को करना है लेकिन मैं किसी और भूमिका में अपना प्रभाव किसी और तरीके से छोड़ने की कोशिश करूंगा। मैंने कप्तानी करते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। मैंने जिस तरीके से टीम का नेतृत्व किया उसपर मुझे गर्व है।'