- भारत को पहली बार विश्व कप दिलाने वाले कप्तान कपिल देव आज अपना 62वां जन्मदिन मना रहे हैं
- कपिल ने अपने करियर में गेंद को बल्ले के साथ रचे कई कीर्तिमान
- आज भी कपिल की के नाम दर्ज हैं कई बेजोड़ रिकॉर्ड
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट इतिहास में 6 जनवरी का दिन हमेशा यादगार रहेगा। आज के दिन साल 1959 में चंडीगढ़ में जन्म लेने वाले कपिल देव निखंज ने विश्व क्रिकेट इतिहास में सफलता की ऐसी इबारत लिखी जिसे किसी और के लिए दोहरा पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने जो उपलब्धियां अपने 16 साल लंबे क्रिकेट करियर में हासिल की थीं उनमें से कई रिकॉर्ड्स के करीब तो आज तक कोई खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया है। आज कपिल देव अपना
कपिल देव ने अपने करियर की शुरुआत 16 अक्टूबर 1978 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद में की थी। उस मैच में उनका प्रदर्शन खास नहीं रहा था। बल्लेबाजी में 8 रन बनाने के अलावा वो गेंदबाजी करते हुए केवल 1 विकेट हासिल कर सके थे। लेकिन ऐसे प्रदर्शन के बावजूद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने दौर के वो सबसे भारतीय कप्तान और क्रिकेट खिलाड़ी थे। उन्होंने भारत को 1983 में वनडे क्रिकेट का विश्व खिताब दिलाने का जो अद्भुत कारनामा किया था। उसकी मिसाल आज तक दी जाती हैं।
कपिल ने टीम इंडिया को तब विश्व चैंपियन बनाया था जब वेस्टइंडीज की तूती बोलती थी। लगातार दो विश्व कप जीतने के बाद वेस्टइंडीज की टीम खिताबी हैट्रिक पूरी करने के इरादे से आई थी। लेकिन कपिल देव की कप्तानी वाली युवा टीम ने कैरेबियाई टीम को लो स्कोरिंग फाइनल में चारों खाने चित्त करके जीत के लिए 184 रन के लक्ष्य को नहीं हासिल करने दिया।
जिंबाब्वे के खिलाफ मैच से मिला था विश्व कप जीत का विश्वास
टीम इंडिया को जीत की ये ऊर्जा कप्तान कपिल देव की जिंबाब्वे के खिलाफ मैच में खेली 175 रन की पारी से मिली थी। उस मैच में 17 रन पर पांच विकेट गंवा दिए थे। ओपनर सुनील गावस्कर और श्रीकांत खाता खोले बगैर पवेलियन लौट गए थे। वहीं मोहिंदर अमरनाथ(5), संदीप पाटिल(1) और यशपाल शर्मा(9) भी कोई कमाल नहीं दिखा सके। ऐसे में एक छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे कप्तान कपिल देव ने वो करिश्मा कर दिखाया जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी।
अकेले दम पर कपिल ने खड़ी की थी भारत की पारी
कपिल देव ने रोजर बिन्नी(22), रवि शास्त्री , मदन लाल और सैयद किरमानी(24*) के साथ मिलकर पारी को संभाला और दूसरे छोर से ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 138 गेंद में 175 रन की नाबाद पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 16 चौके और 6 छक्के जड़े थे। यह वनडे क्रिकेट में भारतीय बल्लेबाज द्वारा जड़ा पहला शतक था। कपिल की इस धमाकेदार पारी की बदौलत भारत 60 ओवर में 8 विकेट पर 266 रन का स्कोर खड़ा करने में सफल हुआ। इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने कहर परपाते हुए भारत को 3 ओवर शेष रहते 31 रन के अंतर से जीत दिला दी। कपिल ने गेंदबाजी में भी सबसे किफायती साबित हुए और 11 ओवर में महज 32 रन देकर 1 विकेट हासिल किया। उनके अलावा मदन लाल ने 3, रोजर बिन्नी ने 2 और बदविंदर सिंह संधू ने 1 विकेट लिया था।
गेंद और बल्ला दोनों से बेजोड़ थे कपिल
कपिल देव को दुनिया के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में शामिल किया जाता है। उन्होंने गेंद और बल्ले के साथ एक साथ जो कारनामे किए वो बेमिसाल थे। वो दुनिया के पहले क्रिकेट खिलाड़ी थे जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 400 विकेट लेने के साथ 4000 से ज्यादा रन भी बनाए। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 434 विकेट के साथ 5288 रन भी दर्ज हैं। उन्होंने वनडे क्रिकेट में भी गेंद और बल्ले दोनों से धमाल किया। 225 वनडे मैचों में उन्होंने 3783 रन बनाए और 253 विकेट भी हासिल किए। कपिल देव ने 1994 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा तब उनके नाम वनडे और टेस्ट क्रिकेट दोनों में सबसे ज्यादा विकेट दर्ज थे।