- आईसीसी की टीम ने किया बड़ा खुलासा
- अब बिटक्वाइन के जरिए हो रहा है क्रिकेट भ्रष्टाचार
- हीथ स्ट्रीक सट्टेबाजी मामले में जांच से हुआ खुलासा
नई दिल्लीः जिंबाब्वे के पूर्व कप्तान हीथ स्ट्रीक के क्रिकेट में भ्रष्टाचार स्वीकार करने से सभी का ध्यान सट्टेबाजों के क्रिप्टोकरेंसी (डिजिटल करेंसी) का इस्तेमाल करने पर भी गया है जो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचार रोधी इकाई (एसीयू) के लिए नई चुनौती है। आईसीसी एसीयू ने हालांकि कहा है कि वे इस चुनौती के लिए तैयार हैं। जिंबाब्वे, बांग्लादेश की राष्ट्रीय टीमों के अलावा इंडियन प्रीमियर लीग, अफगानिस्तान प्रीमियर लीग और बांग्लादेश प्रीमियर लीग में कोचिंग के दौरान संदिग्ध भारतीय सट्टेबाज को अंदरूनी सूचना का खुलासा करने की बात स्वीकार करने के बाद आईसीसी ने बुधवार को स्ट्रीक को आठ साल के लिए प्रतिबंधित किया।
सट्टेबाजों के लिए अब तक नकद भुगतान सबसे पसंदीदा जरिया था जबकि वे कार, जवाहरात और महंगे फोन के रूप में भी भुगतान करते थे। हालांकि स्ट्रीक के मामले ने भ्रष्ट भुगतान में ध्यान बिटक्वाइन की ओर खींचा है। इस मामले में आईसीसी के विस्तृत फैसले के अनुसार स्ट्रीक को 2018 में भ्रष्ट व्यक्ति ने दो ‘बिटक्वाइन’ का भुगातन किया जिसकी कीमत उस समय 35000 डॉलर थी।
आईसीसी की एसीयू के महाप्रबंधक एलेक्स मार्शल ने गुरुवार को पीटीआई के सवाल के जवाब में ईमेल में कहा, ‘‘यह हमारे लिए नई चीज है लेकिन हमारे पास सक्षम स्टाफ है जो इसकी जांच कर सकता है। भ्रष्टाचारी लोग सभी तरीकों का इस्तेमाल करने का प्रयास करते हैं जिसमें नकद और हवाला भी शामिल है और इनकी पहचान करना भी आसान नहीं है। बिटक्वाइन भी इसी तरह की चुनौती पेश करते हैं।’’
दरअसल में आम आदमी की भाषा में क्रिप्टोकरेंसी वर्चुअल पैसा है। इसमें डिजिकल लेन देन किया जाता है जो एल्गोरिथम पर आधारित होता है। बिटक्वाइन का हालांकि किसी देश का केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण (जैसे भारत में रिजर्व बैंक आफ इंडिया) नियामन नहीं करता है और भारत जैसे कई देशों में यह गैरकानूनी है। इस समय भारतीय पैसों में एक बिटक्वाइन की कीमत 46 लाख 83 हजार रुपये यानी 62,453 डॉलर है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि क्रिप्टोकरेंसी की कोडिंग को तोड़ना लगभग असंभव माना जाता है।
मार्शल ने हालांकि कहा कि भ्रष्टाचार का नया तरीका सामने आने के बाद आईसीसी आगामी दिनों में इस चुनौती के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, ‘‘बिटक्वाइंन से लेन देन के बारे में पता करना भले ही इतना आसान नहीं है लेकिन हमारे पास सही लोग हैं जिन्हें सही विशेषज्ञता, समझ हासिल है और हमारे पास जरूरी नेटवर्क है जिससे कि हम भ्रष्टाचारियों से आगे रह सकें।’’
यहां तक कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) की एसीयू के नए प्रमुख शब्बीर हुसैन शेखदम खंडवावाला ने कहा कि उन्होंने पहली बार बिटक्वाइंन के जरिए भुगतान के बारे में सुना है। गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक ने पीटीआई से कहा, ‘‘हां, मैं हीथ स्ट्रीक के मामले को विस्तार से देख रहा था। मैंने भी बिटक्वाइन के जरिए भुगतान के बारे में पहली बार सुना है।’’
हुसैन का हालांकि मानना है कि भ्रष्टाचारी लोगों को ढूंढना हमेशा लेन देन के तरीके पर नजर रखने से नहीं जुड़ा होता। उन्होंने कहा, ‘‘हम हमेशा लोगों को कितना भुगतान हुआ और कैसे भुगतान हुआ (इस मामले में बिटक्वाइन में), इससे नहीं पकड़ते। हमारे साक्ष्य अलग होते हैं। हम उन पर नजर रखते हैं और उनकी गतिविधियों और टेलीफोन कॉल पर।’’
हुसैन ने कहा, ‘‘कुछ चीजें पर्दे के पीछे भी होती हैं। सब कुछ सूत्रों से मिली ठोस सूचना के आधार पर किया जाता है। इसलिए अगर कोई पैसा स्वीकार करता है या किसी भी तरह से भ्रष्टाचार से जुड़ा है तो जब आप जांच शुरू करते हो तो आप उस तक पहुंच जाते हो।’’