- पाकिस्तान में सुरक्षित रूप से कैसे होगा आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी का आयोजन
- कई देश पाकिस्तान में इतने बड़े आयोजन को लेकर उठा चुके हैं सवाल
- आईसीसी ने चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी पाकिस्तान को देने पर अपनी सफाई दी
आईसीसी द्वारा पाकिस्तान को 2025 चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी सौंपने के बाद हमेशा की तरह पाकिस्तान में सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे। हालांकि आईसीसी (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) को भरोसा है कि एक दशक से अधिक समय तक वहां खेलने को लेकर ऐतराज के बावजूद अब टीमों को इस वैश्विक टूर्नामेंट के लिए कोई परेशानी नहीं होगी। आईसीसी ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान को 2025 चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी का अधिकार दिया था। इससे दो दशकों से अधिक समय के बाद पाकिस्तान में बड़े टूर्नामेंट की वापसी होगी। पिछली बार पाकिस्तान ने अपनी सरजमीं पर 1996 विश्व कप के रूप में आईसीसी टूर्नामेंट की मेजबानी की थी। उस विश्व कप में भारत और श्रीलंका भी सह-मेजबान थे।
श्रीलंका की टीम की बस पर 2009 में लाहौर में हुए आतंकवादी हमले के बाद से यह देश में कई अंतरराष्ट्रीय टीमों की मेजबानी नहीं कर पाया है। आईसीसी के अध्यक्ष ग्रेग बार्कले ने ‘मीडिया राउंडटेबल’ के दौरान पीटीआई-भाषा के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘इसका जवाब हां है, हम अब तक जो देख रहे है उसके मुताबिक बिल्कुल हां (टीमें यात्रा करेंगी)।’’
बार्कले ने कहा, ‘‘आईसीसी क्रिकेट आयोजन कई वर्षों के बाद पाकिस्तान में वापस आ रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में जो हुआ उसे छोड़कर यह सब बिना किसी मुद्दे के आगे बढ़ा है।’’ इस साल सितंबर में, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड सुरक्षा चिंताओं के कारण पाकिस्तान दौरे पर खेली जाने वाली द्विपक्षीय श्रृंखला से पीछे हट गये थे। बार्कले ने जोर देकर कहा कि अगर आईसीसी को लगता कि पाकिस्तान सफलतापूर्वक इसका आयोजन नहीं कर सकेगा तो उसे मेजबानी का अधिकार नहीं देता।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर हमें पाकिस्तान की मेजबानी पर संदेह होता तो हम इस आयोजन का अधिकार उसे नहीं देते।’’ टूर्नामेंट में भारत की भागीदारी एक संदेह बनी हुई है क्योंकि भारत में आतंकी हमलों के बाद राजनयिक तनाव के कारण दोनों पड़ोसी देशों के बीच 2012 के बाद से किसी द्विपक्षीय क्रिकेट का आयोजन नहीं हुआ है।
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले सप्ताह कहा था कि चैम्पियन्स ट्रॉफी में भारत की भागीदारी पर फैसला समय आने पर लिया जाएगा क्योंकि अंतरराष्ट्रीय टीमों के लिए पड़ोसी देश का दौरा करने के लिए अभी भी सुरक्षा मुद्दे हैं। बार्कले ने इसे चुनौतीपूर्ण मुद्दा करार देते उम्मीद जतायी कि क्रिकेट के जरिये दोनों देशों के रिश्तों में सुधार हो सकती है।