- इस फॉर्मेट के साथ होनी चाहिए थी भारत के ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत
- डे-नाइट टेस्ट के साथ नहीं होनी चाहिए थी टेस्ट सीरीज की शुरुआत
- कार्यक्रम ऐसा होता तो होता टीम इंडिया को फायदा
नई दिल्ली: भारत के पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि भारतीय खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अगर लाल गेंद से खेलने के बाद गुलाबी गेंद से खेलते तो उनके लिए अच्छा रहता। सचिन ने साथ ही कहा कि भारत को ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरुआत टी-20 सीरीज से करनी चाहिए थी, क्योंकि भारतीय खिलाड़ी 10 नवंबर को खत्म हुए आईपीएल में खेल कर गए थे और ऐसे में टी-20 सीरीज की शुरुआत से उनके लिए दौरा आसान हो जाता।
सचिन ने आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कहा, 'पहला टेस्ट ही एक डर था क्योंकि मुझे लगता है कि एडिलेड से पहले हमने जो आखिरी टेस्ट खेला वो फरवरी में था। इसके बाद कोई क्रिकेट नहीं खेली गई (कोविड-19 के कारण)। हर कोई आईपीएल की तैयारी कर रहा था जो टी-20 प्रारूप है।
टी20 सीरीज के साथ होनी चाहिए थी दौरे के शुरुआत
उन्होंने कहा, 'मेरे हिसाब से बेहतर यह होता कि आईपीएल के बाद आप ऑस्ट्रेलिया के साथ टी-20 सीरीज खेलते इसके बाद वनडे और फिर टेस्ट सीरीज जिसकी शुरुआत लाल गेंद से करते और आखिरी टेस्ट गुलाबी गेंद से खेलते। मेरे हिसाब से यह गुलाबी गेंद टेस्ट मैच के लिए अच्छा ट्रांजिशन होता।'
डे-नाइट टेस्ट के साथ होना चाहिए था सीरीज का अंत
बीसीसीआई ने टेस्ट सीरीज की शुरुआत एडिलेड में डे-नाइट टेस्ट के साथ कराने का फैसला किया था। नतीजा यह रहा कि भारत को आठ विकेट से हार मिली। कोहली सीरीज का पहला मैच गुलाबी गेंद से खेलने को लेकर कभी भी सहज नहीं थे। बीते एक साल में उनके बयानों से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने बार-बार कहा था कि डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने से पहले भारत को अच्छी तरह से तैयारी करना चाहिए। उन्होंने पिछले साल भारत के पहले डे-नाइट टेस्ट मैच के बाद भी यह बात कही थी। भारत ने अपना पहला डे-नाइट टेस्ट कोलकाता के ईडन गार्डन्स में बांग्लादेश के खिलाफ खेला था।
गुलाबी गेंद से खेलने की होनी चाहिए प्लानिंग
उस समय कोहली ने कहा था, 'गुलाबी गेंद से खेलने को लेकर प्लानिंग होनी चाहिए। हम अपने घर में खेल रहे हैं, लेकिन जब आप बांग्लादेश टीम से पूछेंगे तो वह भी अभ्यास करना पसंद करती, क्योंकि हम अपनी स्थितियों के बारे में जानते हैं और गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की। इसलिए हमें चुनौती और गुलाबी गेंद से जो चीजें अलग हैं, उनका पता नहीं चला।'
उन्होंने कहा था, 'हो सकता है कि जब हम बाहर खेलें तब हमें पता चले कि गुलाबी गेंद से खेलना कितना मुश्किल होता है। मुझे लगता है कि अभ्यास मैच खेलने से और तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिलने के बाद हम कुछ भी कर सकते हैं। आप एक शॉर्ट नोटिस पर नहीं खेल सकते।'
सीएसी ने कर दिया था डे-नाइट टेस्ट खेलने से इनकार
रोचक बात यह है कि 2018 में बीसीसीआई को चला रही सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासकों की समिति (सीओए) ने क्रिकेट ऑस्टेलिया द्वारा डे-नाइट टेस्ट मैच खेलने के प्रस्ताव को मना कर दिया था। इसके बाद पिछले साल अक्टूबर में जब सौरव गांगुली बीसीसीआई के अध्यक्ष बने तब भारत ने अपना रुख बदला और अपना पहला डे-नाइट टेस्ट खेला।
भारत ने हालांकि इस बार ऑस्ट्रेलिया दौरे पर एडिलेड में खेले गए डे-नाइट टेस्ट मैच से पहले सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (एससीजी) पर तीन दिवसीय डे-नाइट अभ्यास मैच जरूर खेला था। मैच में कोहली नहीं खेले थे।