- क्रिकेट इतिहास की सबसे घातक गेंदों में से एक
- जब इरफान पठान ने मार्क वर्म्यूलन को की थी घातक बाउंसर
- आज ही के दिन हुआ था मार्क वर्म्यूलन का जन्म
नई दिल्लीः जिंबाब्वे क्रिकेट ने भी विश्व क्रिकेट को कई दिग्गज खिलाड़ी दिए। नील जॉनसन से लेकर फ्लावर बंधुओं और ब्रैंडन टेलर तक इस देश ने कई दिग्गज खिलाड़ियों को देखा लेकिन राजनीतिक परिस्थितियों और देश के हालातों के चलते टीम में लगातार कुछ ना कुछ होता रहा और ये टीम कभी उठ नहीं सकी। उसी दौर में एक खिलाड़ी थे मार्क वर्म्यूलन जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जगह बनाई थी। मार्क का जन्म आज ही के दिन (2 मार्च 1979) हुआ था। सभी को उनसे काफी उम्मीदें थीं लेकिन एक बाउंसर ने सब कुछ बिगाड़ दिया।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट के 71 मैचों में 11 शतकों के दम पर तकरीबन पांच हजार रन बनाने वाले मार्क वर्म्यूलन ने 2000 में श्रीलंका के खिलाफ वनडे खेलते हुए अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया था। उन्होंने शुरुआती कुछ मैचों में अच्छे स्कोर बनाए और 2003 विश्व कप में भी तीन मैचों में वो अपने देश के लिए खेलने उतरे थे।
इरफान पठान की वो घातक बाउंसर
साल 2004 में ऑस्ट्रेलिया में भारत-ऑस्ट्रेलिया-जिंबाब्वे के बीच ट्राई सीरीज (वनडे) खेली जा रही थी। भारत के खिलाफ मैच में जब मार्क वर्म्यूलन बल्लेबाजी करने उतरे तब भारत के बाएं हाथ के शानदार पेसर इरफान पठान ने उनको एक ऐसी बाउंसर फेंकी जिससे उनके सिर की हड्डी फ्रैक्चर हो गई। ये एक साल में सिर पर उनको दूसरी बार गेंद लगी थी। उससे पहले अभ्यास में भी उनको सिर पर गेंद लग चुकी थी।
उन्होंने कुछ मैचों के लिए वापसी तो की लेकिन बताया जाता है कि सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने साफ कर दिया था कि अब वो ज्यादा दिन शीर्ष स्तर पर नहीं खेल सकेंगे। लेकिन फिर भी वो मैदान पर उतरे लेकिन दोबारा अपनी लय में नहीं नजर आए।
लड़ाई-झगड़े, अराजकता, अनुशानहीनता और जेल
साल 2006 में दर्शकों से भिड़ने के लिए इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड द्वारा लगाया गया प्रतिबंध हो या करियर खत्म होने के बाद 2015 में सोशल मीडिया पर नस्लभेदी टिप्पणी करने को लेकर जिंबाब्वे क्रिकेट द्वारा लगाया गया प्रतिबंध। मार्क वर्म्यूलन बहुत से मौकों पर गलत हरकतों को लेकर चर्चा में रहे।
लेकिन सबसे अजीब घटना इरफान पठान के बाउंसर लगने के बाद हुई थी। एक ऐसी घटना जिसके बाद लोग व मीडिया ये तक कहने लगे थे कि उस बाउंसर ने मार्क के दिमाग पर गहरा प्रहार किया था और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था। दरअसल, हरारे स्थित जिंबाब्वे क्रिकेट अकादमी और क्रिकेट बोर्ड के मुख्यालय में आगजनी की भयानक घटना हुई थी जिसमें मार्क वर्म्यूलन का नाम भी सामने आया था।
वो फरार हो चुके थे लेकिन पुलिस ने उनको पकड़ लिया और उन्हें दोषी भी पाया गया लेकिन 2008 में मानसिक रूप से अस्वस्थ कहकर उनको बरी कर दिया गया था। उसी साल फरवरी में उन्होंने जिंबाब्वे के लिए फिर से क्रिकेट खेलने की इच्छा जाहिर की और कहा कि वो पैसा कमाकर उसे दान करना चाहते हैं ताकि जो क्रिकेट अकादमी उन्होंने जलाई थी, उसको फिर से बनाया जा सके। ये 41 वर्षीय पूर्व क्रिकेटर अभी जिंबाब्वे में ही रहता है।