- विराट कोहली के बचपन के कोच ने की जयदेव उनादकट को टीम इंडिया में शामिल करने की सिफारिश
- उनादकट ने अपनी कप्तानी में सौराष्ट्र को दिलाया पहला रणजी खिताब
- साल 2010 में 18 साल की उम्र में उनादकट ने किया था टेस्ट डेब्यू
नई दिल्ली: सौराष्ट्र ने शुक्रवार को बंगाल को मात देकर पहली बार रणजी ट्रॉफी पर कब्जा किया। रणजी ट्रॉफी जीतने के सौराष्ट्र के सपने को पूरा होने में 70 साल लंबा वक्त लगा। सौराष्ट्र को लगातार दूसरी बार रणजी फाइनल में पहुंचाने और खिताबी जीत दिलाने में अगर किसी एक खिलाड़ी की अहम भूमिका रही है तो वो हैं बांए हाथ के तेज गेंदबाज और टीम के कप्तान जयदेव उनादकट।
दिल्ली के रणजी ट्रॉफी में खेल चुके विराट कोहली के बचपन के कोच राजकुमार शर्मा ने कहा है कि जयदेव उनादकट को भारतीय टीम में जगह मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, मैं सौराष्ट्र की टीम को रणजी ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन के लिए बधाई देना चाहता हूं। खासकर जयदेव उनादकट को। जिन्होंने इस बड़ी प्रतियोगिता में शानदार गेंदबाजी करते हुए 67 विकेट लिए।'राजकुमार शर्मा ने आगे कहा, उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया जाना चाहिए। आईपीएल में वो पहले ही खुद को साबित कर चुके हैं और अब सबसे बड़े फॉर्मेट में भी उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित कर दी है।'
एक सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज
जयदेव उनादकट ने शुक्रवार को समाप्त हुए रणजी सीजन में शानदार प्रदर्शन किया और कुल 67 विकेट हासिल किए। वो एक रणजी सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने के रिकॉर्ड की बराबरी करने से एक और उस अपने नाम करने से 2 विकेट की दूरी पर रह गए। ये रिकॉर्ड बिहार के लिए खेलने वाले बांए हाथ के स्पिनर आशुतोष अमन के नाम दर्ज है। आशुतोष ने साल 2018-19 में बिहार के लिए खेलते हुए कुल 68 विकेट लिए थे। हालांकि अगर तेज गेंदबाज के नजरिए से देखा जाए तो उनादकट एक रणजी सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले तेज गेंदबाज जरूर बन गए हैं।
10 साल पहले किया था अंतरारष्ट्रीय डेब्यू
28 साल के जयदेव उनादकट ने साल 2010 में द. अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन में टेस्ट डेब्यू किया था। इसके बाद उन्हें भारत के लिए 7 वनडे और 10 टी20 मैच खेलने का मौका मिला। अब तक खेले एक टेस्ट मैच में वो भारत के लिए कोई विकेट नहीं ले सके थे। लेकिन वनडे और टी-20 में उनके नाम 8 और 14 विकेट दर्ज हैं। साल 2018 में टीम इंडिया की जर्सी में आखिरी बार नजर आए थे। कोलंबो में निदहास ट्रॉफी के फाइनल में बांग्लादेश के खिलाफ जीत हासिल करने वाली टीम का वो हिस्सा थे। उसके बाद उन्हें टीम इंडिया में दोबारा मौका नहीं मिला। लेकिन इसके बाद से लगातार दो रणजी सीजन में वो अपनी गेंदों से धमाका कर रहे लेकिन चयनकर्ताओं को लुभाने में नाकाम रहे। अब हो सकता है नई चयनसमिति उन्हें वापसी का मौका दे।