नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के सबसे मुखर आलोचक और दिल्ली के पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के बीसीसीआई के संविधान को बदलने के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि इससे वही स्थिति आएगी जो 2016 से पहले थी। दिल्ली के क्रिकेटर से राजनेता बने 63 वर्षीय आजाद ने कहा कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर द्वारा गठित समिति ने बीसीसीआई की कमियां दूर करने के लिए कुछ सिफारिशें की थीं लेकिन दुर्भाग्य से जो महत्वपूर्ण बिन्दु थे, उन्हें नए फैसले में हटा दिया गया।
बीसीसीआई को संविधान संशोधन की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बीसीसीआई को अपने संविधान में संशोधन करने की अनुमति दे दी खासतौर पर कूलिंग ऑफ अवधि में शिथिलता लाने। यह फैसला बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली और सचिव जय शाह सहित मौजूदा पदाधिकारियों को 2025 तक अपने पदों पर बने रहने की अनुमति देगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में पूछे जाने पर 1983 की विश्व कप विजेता टीम के सदस्य आजाद ने कहा, "यह बीसीसीआई को वहीँ ले जाएगा जो वह 2016 से पहले हुआ करता था और हम उन भ्रष्टाचार को दुबारा होते देख पाएंगे और चीजें वैसे ही चलती रहेंगी।"
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''कार्यकाल इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा था''
आजाद ने आईएएनएस से कहा, "भ्रष्टाचार अब भी रहेगा जैसा यह 2016 से पहले था। कोई पारदर्शिता नहीं है और हम इतना ही जानते हैं कि बड़े राजनीतिक और प्रभावशाली परिवारों के लोग सत्ता संभल लेंगे।" आजाद ने कहा, "करोड़ों रुपये अदालती मामलों पर खर्च किये गए। राज्य संघों ने सबसे महंगे वकील खड़े किये। बीसीसीआई ने भी वैसा ही किया। हम भी लड़े। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह की चीजें हो जाती हैं। मैंने जस्टिस आरएम लोढ़ा का एक साक्षात्कार में प्रेस बयान पढ़ा जिसमें उन्होंने कहा कि कार्यकाल इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।"
यह पूछने पर कि कूलिंग ऑफ अवधि को लेकर बीसीसीआई हिचकिचाया क्यों था, उन्होंने कहा, "क्योंकि बीसीसीआई को किसी तरह के अनुभव की जरूरत नहीं है लेकिन दुर्भाग्य से चीजें बदल गयी हैं और हर कोई जानता है कि ऐसा क्यों हुआ है।" आजाद ने कहा कि डीडीसीए में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले वह पहले व्यक्ति थे और उसके जिम्मेदार लोगों का पदार्फाश करना चाहते थे।
''मुझे आवाज उठाने के लिए निलंबित किया गया''
आजाद ने कहा, "मुझे डीडीसीए में अरुण जेटली के भ्रष्टाचार को उठाने के लिए निलंबित कर दिया गया था। मैं व्हिसल ब्लोअर था और मुझे भारतीय जनता पार्टी से भी निलंबित कर दिया गया। यह केवल मैं नहीं था जो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहा था बल्कि गंभीर धोखाधड़ी और जांच कार्यालय की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश विक्रमजीत सिंह की रिपोर्ट में भी यह कहा गया था। जस्टिस विक्रमजीत डीडीसीए में प्रशासक थे।"
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