नई दिल्ली: क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के उपलब्धियों के ताज में मंगलवार को एक और हीरा जड़ गया। सचिन को लॉरियस स्पोर्टिंग मोमेंट अवॉर्ड 2000-2020 से नवाजा गया है। उन्हें यह अवॉर्ड 2011 विश्व कप के एक खास पल के लिए मिला है। विश्व कप जीतने के बाद सचिन को साथी टीम के साथी खिलाड़ियों ने कंधों पर उठाकर वानखेड़े स्टेडियम का चक्कर लगाया था। जिसे पिछले 20 वर्षों में 'लॉरियस सर्वश्रेष्ठ खेल क्षण' माना गया। सचिन को विजेता बनने के लिए सबसे ज्यादा वोट मिले। सचिन से जुड़े लम्हे को 'कैरीड ऑन द शोल्डर्स ऑफ ए नेशन' शीर्षक दिया गया है।
साल 1999 में हुई थी अवार्ड की स्थापना
लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड की स्थापना साल 1999 में स्पोर्ट्स फॉर गुड फाउंडेशन के डैमलर और रिचमाउंट ने की थी। इस फाउंडेशन का लक्ष्य खेलों के जरिए दुनिया में होने वाला हिंसा, भेदभाव को खत्म करके यह सिद्ध करना है कि खेलों में दुनिया को बदलने की ताकत है। लॉरियस शब्द ग्रीक भाषा के शब्द लॉरेल से बना है। इसका शाब्दिक अर्थ एथलेटिक्स स्पर्धा में जीत की मुद्रा को इंगित करता है। इस पुरस्कार को ऑस्कर ऑफ स्पोर्ट्स भी कहा जाता है।
नेल्सन मंडेला ने दिया था आधार व्याख्यान
पहली बार इस समारोह का आयोजन 25 मई 2000 को मोंटे कार्लो में किया गया था। दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने इस आयोजन के दौरान आधार व्याख्यान दिया था। साल 2019 से आठ श्रेणियों में टीमों और व्यक्तिगत प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को ये पुरस्कार दिया जाता है। इसमें लॉरियस की स्टैचू पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है। साल 2019 तक इस पुरस्कार समारोह का आयोजन 11 देशों में हो चुका है।
रोजर फेडरर ने जीते हैं सर्वाधिक पुरस्कार
स्विटजरलैंड के स्टार टेनिस खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा 6 बार लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड पर कब्जा किया है। इनमें से पांच पुरस्कार उन्हें साल के सर्वश्रेष्ठ पुरुष खिलाड़ी बनने के लिए और एक अवार्ड पिछले साल कमबैक ऑफ द इयर के लिए मिला था।
वापस भी लिए गए हैं अवार्ड
कई बार ये अवार्ड खिलाड़ियों से वापस भी लिए गए हैं। इसमें सबसे प्रमुख नाम अमेरिकी सायकल चालक लॉन्स ऑर्मस्ट्रॉन्ग और महिला धावक मारियन जोंस के हैं। इन दोनों को लॉरियस अवार्ड से नवाजा गया था लेकिन जब इन्हें रिकॉर्ड बनाने के लिए ड्रग्स लेने का दोषी पाया गया तो उनसे अवार्ड वापस ले लिए गए थे।