- दिनेश त्रिवेदी ने फरवरी 2021 में तृणमूल कांग्रेस पीएम से इस्तीफा दिया था
- लेफ्ट और कांग्रेस ने पोल से पहले गठबंधन किया
- प्रमुख लड़ाई भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच होगी
कोलकाता: टीम इंडिया के क्रिकेटर मनोज तिवारी बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी की उपस्थिति में तृणमूल कांग्रेस से जुड़ गए हैं। हुगली जिला में मुख्यमंत्री की रैली के दौरान तिवारी टीएमसी से जुड़े। इससे पहले तिवारी ने ट्विटर पर घोषणा की थी कि वो आज से अपनी नई यात्रा की शुरूआत कर रहे हैं और उन्होंने इसके साथ ही इंस्टाग्राम पेज भी शेयर किया, जहां वो अपनी राजनीतिक यात्रा की अपडेट्स शेयर करेंगे।
मनोज तिवारी ने ट्वीट किया, 'आज से एक नई यात्रा की शुरूआत। आप सभी के प्यार और समर्थन की जरूरत है। अब से इंस्टाग्राम पर यह मेरी राजनीतिक प्रोफाइल होगी।'
बता दें कि हावड़ा में जन्में 35 साल के मनोज तिवारी ने टीम इंडिया के लिए साल 2008 में डेब्यू किया था और उन्होंने टीम इंडिया के लिए आखिरी वनडे मैच जुलाई 2015 में खेला था। मनोज तिवारी ने 12 वनडे और तीन टी- 20 इंटरनेशनल मैचों में टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया। वनडे मैच में उन्होंने कुल 287 रन बनाए।
इससे पहले पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा था और उन्हें बैनर्जी सरकार में युवा एवं खेल मंत्रालय सौंपा गया था। शुक्ला ने हालांकि, जनवरी 2021 में पार्टी से इस्तीफा दिया और कारण बताया कि वह राजनीति से संन्यास लेकर अपनी खेल गतिविधि पर ध्यान लगाना चाहते हैं। शुक्ला अब भी हावड़ा नॉर्थ से एमएलए बने हुए हैं। जब तक विधानसभा चुनाव का कार्यकाल समाप्त नहीं होता तब तक वो इस पद पर बरकरार रहेंगे।
मनोज तिवारी के शामिल होने से ममता बैनर्जी को मिली राहत
बहरहाल, मनोज तिवारी के पार्टी से जुड़ने से ममता बैनर्जी को बड़ी राहत मिली है क्योंकि दिसंबर 2020 से कई तृणमूल लीडर्स ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा है। पूर्व टीएमसी राज्यसभा एमपी दिनेश त्रिवेदी ने फरवरी में पार्टी से इस्तीफा दिया। उन्होंने कारण बताया कि वह पार्टी में घुटन महसूस कर रहे थे।
वहीं भाजपा से इस महीने की शुरूआत में बंगाली एक्टर्स यश दासगुप्ता, राज मुखर्जी, अशोक भाद्रा, मीनाक्षी घोष, मल्लिका बैनर्जी, पपिया अधिकारी, सौमीलि घोष बिस्वास और एमिला भट्टाचार्जी जुड़े थे। पूर्व टीएमसी लीडर सुवेंदु अधिकारी ने दिसंबर 2020 में भाजपा का दामन थामा था। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव इस साल अप्रैल-मई में हो सकते हैं। प्रमुख लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच होना है। कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों ने पश्चिम बंगाल पोल से पहले एकजुट होने का फैसला किया है।