- मिल्खा सिंह का शुक्रवार रात कोविड के बाद की समस्याओं के कारण निधन हुआ
- 91 साल की उम्र में मिल्खा सिंह ने शुक्रवार रात 11:30 बजे अंतिम सांस ली
- खेल जगत ने महान एथलीट मिल्खा सिंह को भावपूर्ण श्रंद्धाजलि दी है
नई दिल्ली: 'फ्लाइंग सिख' मिल्खा सिंह नहीं रहे। पूर्व दिग्गज धावक का कोरोना वायरस से जूझने के बाद 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। तीन बार के ओलिंपियन और भारत के महान धावक मिल्खा सिंह पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस से जूझ रहे थे। पद्मश्री मिल्खा सिंह के परिवार में बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं।
महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह के परिवार के एक प्रवक्ता ने बताया, 'उन्होंने रात 11:30 बजे आखिरी सांस ली। उनकी हालत शाम से ही खराब थी और बुखार के साथ ऑक्सीजन भी कम हो गई थी। वह यहां पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती थे। उन्हें पिछले महीने कोरोना हुआ था और बुधवार को उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। उन्हें जनरल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था। गुरूवार की शाम से पहले उनकी हालत स्थिर हो गई थी।'
मिल्खा सिंह स्वतंत्र भारत के खेल सितारों में से एक थे। उन्होंने एक दशक से भी अधिक समय तक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में अपना दबदबा कायम रखा। उनकी रफ्तार की दुनिया कायल थी। दिग्गज एथलीट का जन्म 20 नवंबर 1929 को गोविंदपुरा (वर्तमान पाकिस्तान) में एक सिख परिवार में हुआ था। वह विभाजन के बाद भारत आ गए थे। मिल्खा सिंह के निधन से देश में शोक की लहर फैल गई है। खेल जगत ने अपने आइकॉन को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है।
मिल्खा सिंह को खेल जगत की श्रद्धांजलि
(रेस्ट इन पीस हमारे बहुत अपनेफ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह जी। आपके निधन से प्रत्येक भारतीय के दिल में गहरा शून्य है, लेकिन आप आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।)
(इस खबर से बेहद दुखी हूं। रिप। भारत के महानतम खिलाड़ियों में से एक। आपने युवा भारतीयों को एथलीट बनने का सपना दिखाया। आपको करीब से जानने का सम्मान मिला था।)
(भारत के महानतम ओलंपिक धावक। 60 के दशक में अपनी कम सुविधाओं के बावजूद अपनी प्रतियोगिता की भावना से दुनिया को हिला दिया। उन्होंने दूसरे स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति शब्द लिया। इज्जत। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे। जीव मिल्खा सिंह और परिवार को संवेदनाएं।)
(मिल्खा सिंह जीत के निधन का जानकर बहुत दुख हुआ। भारतीयों की पीढ़ी को प्रेरणा दी और हमें विश्वास दिलाया कि असंभव कुछ भी नहीं। जीव मिल्खा सिंह को संवेदनाएं।)