- हाशिम अमला ने पाकिस्तानी गेंदबाज मोहम्मद आसिफ को किया याद
- करियर में मेरे लिए साबित हुए सबसे मुश्किल गेंदबाज
- वो गेंद के साथ करता था जादू, किस दिशा में जाएगी गेंद अंदाजा लगा पाना था नामुमकिन
जोहान्सबर्ग: भारत के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की जोहान्सबर्ग टेस्ट में जीत के बाद पूर्व बल्लेबाज हाशिम अमला को पाकिस्तान के पूर्व बल्लेबाज मोहम्मद आसिफ की याद आ गई। उनसे जब ये पूछा गया कि किस गेंदबाज का सामना करने में उन्हें तकनीकी रूप से परेशानी पेश आई तो उन्होंने मोहम्मद आसिफ का नाम लिया।
गेंद के साथ जादू करते थे आसिफ
आसिफ को तेज गेंदबाजी का जादूगर करार देते हुए अमला ने कहा, पाकिस्तानी तेज गेंदबाज मोहम्मद आसिफ का सामना करने में मुझे तकनीकी रूप से परेशानी का सामना करना पड़ा। वो गेंदबाजी के जादूगर थे। मैं उनकी ग्रिप और हाथ की पोजिशन में भेद नहीं कर पाता था कि गेंद अंदर जाएगी या बाहर। वो गेंद को हवा में स्विंग कराते थे। अगर ऐसा नहीं होता था तो टिप्पा खाने के बाद गेंद दिशा बदल देती थी जहां आपने सोचा भी नहीं होता था।
अमला ने आगे कहा, अगर आप गेंद को छोड़ते तो वो आकर ऑफ स्टंप पर लगती। अगर खेलने की कोशिश करते तो बाहरी किनारा लेकर कैच के लिए स्लिप या विकेटकीपर के पास चली जाती।
देखने में शानदार, सामना करने में मुश्किल गेंदबाज
मोहम्मद आसिफ की तुलना वनॉन फिलेंडर के साथ किए जाने पर अमला ने कहा, अगर पिच या हवा में गेंदबाजों के लिए कुछ भी होता तो मोहम्मद आसिफ और फिलेंडर वो मदद हासिल करने में सफल होते थे। आसिफ फिलेंडर की तुलना में थोड़े लंबे थे तो उनकी गेंदों में उछाल थोड़ा ज्यादा होता था। लेकिन वो देखने में एक शानदार गेंदबाज थे लेकिन उनका सामना करना उतना ही मुश्किल था।
मैच फिक्सिंग और डोपिंग ने लील लिया करियर
मोहम्मद आसिफ का करियर मैच फिक्संग और डोपिंग जैसे विवादों की वजह से समय से पहले खत्म हो गया। आसिफ ने पाकिस्तान के लिए 23 टेस्ट मैच खेले और इस दौरान 24.36 की औसत से 106 विकेट हासिल किए। उनका एक टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 71 रन देकर 11 विकेट रहा। इस दौरान पारी में उन्होंने 7 बार पांच या उससे ज्यादा विकेट लिए। एक पारी में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 41 रन देकर 6 विकेट रहा।
साल 2010 में आखिरी बार पाकिस्तान के लिए आए थे खेलते नजर
आसिफ ने पाकिस्तान के लिए 38 वनडे और 11 अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच भी खेले और इस दौरान 46 और 13 विकेट भी हासिल किए। वो आखिरी बार पाकिस्तान के लिए खेलते हुए साल 2010 में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में नजर आए। इसके बाद स्पॉट फिक्सिंग मामले ने उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर को महज 29 साल की उम्र में हमेशा के लिए खत्म कर दिया।