- मोहम्मद सिराज की सफलता की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा है
- सिराज ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ी मेहनत करके अंतरराष्ट्रीय स्तर तक सफर तय किया
- एक किताब में मोहम्मद सिराज के बारे में खुलासा हुआ है
नई दिल्ली: भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज की सफलता की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा है। युवा खिलाड़ी ने कड़ी मेहनत की और विपरीत परिस्थितियों में भी दम दिखाते हुए देश का प्रतिनिधित्व किया। अपने छोटे से करियर में सिराज ने दिखा दिया कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकने आए हैं और इस स्तर पर लंबी पारी खेलेंगे। लॉर्ड्स टेस्ट में सिराज ने दोनों पारियों में अपनी सफलता साबित की जबकि ऑस्ट्रेलिया में इस तेज गेंदबाज ने अपनी प्रतिभा से परिचय कराया।
सिराज को क्रिकेटर बनाने के लिए उनके पिता ने कड़ी मेहनत की थी। मगर उनका देहांत हो गया। सिराज के पिता मोहम्मस गौस का 20 नवंबर को देहांत हुआ, जब भारतीय टीम के खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया में 14 दिवसीय पृथकवास में थी। कोविड-19 पाबंदी के कारण सिराज घर नहीं लौटे, वरना वो पूरे दौरे से बाहर हो जाते। यही नहीं, भारतीय टीम का कोई सदस्य सख्त पृथकवास नियमों के कारण उनसे मुलाकात नहीं कर सका।
नई किताब इंडियन क्रिकेट- मिशन डॉमिनेशन: एन अनफिनिश्ड क्वेस्ट में बताया गया कि हर खिलाड़ी के कमरे के बाहर पुलिस निगरानी पर थी कि कहीं पृथकवास के दौरान भारतीय खिलाड़ी कोविड प्रोटोकॉल नहीं तोड़े। इसी कारण पिता के देहांत के बाद मोहम्मद सिराज ने होटल के कमरे में खुद को एक दिन के बंद रखा। मगर टीम के साथी वीडियो कॉल के जरिये सिराज के संपर्क में रहे।
न्यूज 18 के मुताबिक किताब में लिखा है, 'सिराज नवंबर में ऑस्ट्रेलिया में सख्त पृथकवास अवधि में थे, जब उनके पिता का देहांत हो गया। इसका मतलब यह था कि कोई भी टीम का साथी उनके कमरे में नहीं जा सकता था। सिराज के पास कोई ऐसा नहीं था, जिसके कंधे पर सिर रखकर वह रोते। तब खिलाड़ियों के कमरे के बाहर पुलिस वाले थे, जो प्रोटोकॉल उल्लंघन से रोकने के लिए थे। सिराज के साथ टीम के साथी पूरे समय वीडियो कॉल पर रहे और चिंतित थे कि कहीं वो खुद को कुछ नुकसान नहीं पहुंचा ले।'
सिर्फ फिजियो को थी खिलाड़ियों के कमरे में जाने की इजाजत
सिर्फ टीम फिजियो को पृथकवास अवधि में खिलाड़ी के कमरे में जाने की अनुमति थी और नितिन पटेल ने मोहम्मद सिराज को खिड़ी से ढांढस बंधाया। क्रिकेटर कई बार फूट-फूटकर रोया, लेकिन उसने सुनिश्चित किया कि दौरे पर अपने पिता के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।
किताब में लिखा है, 'सिर्फ फिजियो की उसके कमरे में जा सकता था। नितिन पटेल ने खिड़ी पर जाकर मुलाकात की और युवा बल्लेबाज का साथ निभाया। सिराज कई मौकों पर फूट-फूटकर रोए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वह अपने पिता का सपना और देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को बेकरार दिखा। जब मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में बॉक्सिंग डे टेस्ट में उनका मौका आया, तो उन्होंने इसे दोनों हाथों से भुनाया।'