- एमएस धोनी का एक पुराना किस्सा बीएएस कंपनी के मालिक सोमी कोहली ने बताया
- कोहली ने बताया कि उनकी पत्नी शुरूआत में एमएस धोनी को नहीं पहचान पाई थी
- एमएस धोनी तब आंटी के शब्द सुनने के बाद कई घंटों तक सो नहीं सके थे
जालंधर: क्रिकेट के बल्ले बनाने वाली कंपनी 'बीट ऑल स्पोर्ट्स' जो बीएएस नाम से भी मशहूर है, उसके मालिक सोमी कोहली ने महेंद्र सिंह धोनी के साथ अपने विशेष रिश्ते के बारे में खुलकर बताया। 66 साल के कोहली ने स्वीकार किया कि कंपनी के उपकरण के एक डीलर परमजीत सिंह ने उन्हें फोन करके रांची के युवा क्रिकेटर की जमकर तारीफ की थी। परमजीत ने सोमी को धोनी को स्पॉन्सर करने पर काफी जोर भी दिया था। बीएएस के मालिक ने कहा कि तब क्रिकेटर का नाम लोकप्रिय नहीं था। परमजीत को युवा धोनी को स्पॉन्सरशिप देने के लिए कोहली को राजी करने में 6 महीने लग गए थे।
एमएस धोनी का ताल्लुक मध्यम वर्गीय परिवार से था और उनके लिए सीमित संसाधनों में क्रिकेट किट खरीदना चुनौती था। हालांकि, सोमी नहीं जानते थे कि कुछ ही सालों में रांची का युवा खिलाड़ी सर्वकालिक सबसे सफल क्रिकेटरों में से एक बनने वाला है। भावुक सोमी कोहली ने खुशी जताई कि धोनी की सफलता में उनकी कंपनी की भी भागीदारी रही। उनके और क्रिकेट के बीच रिश्ता अब 22 साल का हो चुका है। उल्लेखनीय है कि सोमी कोहली और परमजीत के चरित्र धोनी की बायोपिक एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी में भी दिखाए गए हैं।
भावुक सोमी ने जालंधर में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा, 'क्रिकेट बल्ले की निर्माता कंपनी होने के नाते हम हमेशा नई प्रतिभा की खोज में रहते हैं और हमारे डीलर परमजीत सिंह ने रांची के इस युवा क्रिकेटर के लिए लगातार फोन किए। छह महीने उसने मुझे धोनी को स्पॉन्सर करने के लिए मनाया। फरवरी 1998 में मैंने महेंद्र सिंह धोनी को किट भेजी और अब हमारा उसके साथ रिश्ता 22 साल का हो गया है। जब मुझे उसके संन्यास का पता चला तो पहले विश्वास नहीं हुआ और फिर कई घंटों तक नींद नहीं आई। वह एक शानदार क्रिकेटर है और हमें खुशी है कि उसकी यात्रा में हमने भी भूमिका अदा की।'
जब धोनी को घंटों नींद नहीं आई
बीएएस ने कपिल देव, मदन लाल, नवजोत सिंह सिद्धू और सचिन तेंदुलकर जैसे दिग्गजों का भी साथ दिया है। 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ सीरीज से पहले एमएस धोनी उनके घर गए और वहीं रात बिताई, सोमी ने उस समय का एक मजेदार किस्सा बताया है।
कोहली ने कहा, '2004 में चंडीगढ़ में मेरी पहली बार एमएस धोनी से मुलाकात हुई। कुछ महीनों के बाद वो जालंधर में मेरी फैक्ट्री में आया। धोनी उस दिन मेरे ही घर में रुका और जब मैंने अपनी पत्नी मंजू कोहली को बताया, तो उसने पूछा, 'कौन है ये?' अगले दिन जब मैं धोनी से मिला, तो उसने मुझे कहा कि आपकी पत्नी के शब्द सुनने के बाद मैं कई घंटों तक सोया नहीं। कुछ महनों बाद जब उसने पाकिस्तान के खिलाफ पहला शतक जमाया तो धोनी ने रात 11 बजे हमें फोन किया और पूछा कि वो मेरी पत्नी से बात कर सकता है क्या। उसने मेरी पत्नी को कहा, 'आंटी मैं धोनी। मेरी पत्नी ने उससे कहा, 'बेटा अब तो पूरी दुनिया जानती है कि धोनी कौन है।' हमारे बीच इस तरह का मजबूत रिश्ता है।'
भारतीय क्रिकेट का कोहिनूर है धोनी
भारतीय टीम में डेब्यू करने के बाद विकेटकीपर बल्लेबाज ने बहुत जल्द सफलता हासिल की और इससे उन्हें अलग-अलग कंपनियों से अनुबंध मिले। बीएएस ने तब भी पूरे करियर के दौरान धोनी को बल्ले भेजना जारी रखा। रांची के क्रिकेटर ने सोमी के इस रवैये को ध्यान रखा और 2019 विश्व कप में बीएएस बल्ले का उपयोग करके इसके प्रति अपना सम्मान जाहिर किया। सोमी कोहली के मुताबिक यह धोनी का शुक्रिया अदा करने का तरीका था। उन्होंने कहा, 'पिछले साल विश्व कप से पहले धोनी ने बीएएस के नीले लोगो की मांग की थी और यह उनका सम्मान दर्शाने का तरीका था। वह किसी करार से करोड़ो रुपए कमा सकते थे, लेकिन वह कंपनी के प्रति अपना सम्मान दिखाना चाहते थे। यही बात है जो उन्हें भारतीय क्रिकेट का कोहिनूर बनाता है।'