- नवदीप सैनी भारत के 299वें टेस्ट क्रिकेटर बने
- नवदीप सैनी को जसप्रीत बुमराह ने डेब्यू कैप सौंपी
- नवदीप सैनी का करनाल से सिडनी तक का सफर इस तरह रहा
7 जनवरी की सुबह करनाल के तेज गेंदबाज नवदीप सैनी टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने वाले 299वें क्रिकेटर बने। 28 साल के तेज गेंदबाज को अपनी घातक गति के बल पर भारतीय टीम प्रबंधन से समर्थन मिला। नवदीप सैनी ने सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट में डेब्यू किया। नवदीप ने अंतिम एकादश में जगह पाने के लिए टी नटराजन और शार्दुल ठाकुर को पछाड़ा। कुछ लोगों का मानना है कि नवदीप से बेहतर अन्य दो विकल्प साबित होते। हालांकि, इस तेज गेंदबाज के डीएनएन में आलोचकों को गलत ठहराना और विपरीत परिस्थितियों के परे होना है।
दाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने हमेशा दृढ़ता दिखाई और सर्वश्रेष्ठ के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने की ठानी। एक नम्र पृष्ठभूमि वाले नवदीप को पता है कि कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं। सैनी आखिर इतने पूर्ण तेज गेंदबाज कैसे बने? किसने उनकी प्रतिभा को तराशा और बड़े मंच पर मौका दिलाया? कैसे हरियाणा के छोटे से गांव से उठकर सिडनी में उनका टेस्ट डेब्यू हुआ? नवदीप सैनी की कहानी सभी क्रिकेट प्रेमियों के लिए वाकई मिसाल से कम नहीं है।
'कभी इंटरनेशनल क्रिकेटर बनने का सपना नहीं देखा होगा'
नवदीप सैनी अपने शुरूआती दिनों में अन्य लोगों की तरह एकदम चिंता मुक्त थे। वो तो गली का हीरो थे, जो करनाल में गांव के चावल मिल पर दोस्तों और भाईयों के साथ क्रिकेट खेलते थे। उन्होंने कभी पेशेवर क्रिकेट खेलने का सपना भी नहीं देखा था, क्योंकि आर्थिक रूप से वो ज्यादा शक्तिशाली नहीं थे। सैनी के पिता अमरजीत सिंह हरियाणा सरकार की बस चलाते थे। उनके परिवार के पास इतनी रकम नहीं थी कि क्रिकेट किट दिला सके या स्थानीय क्रिकेट एकेडमी में भर्ती कराते। इसलिए वह स्थानीय टूर्नामेंट्स में टेनिस बॉल क्रिकेट खेलते थे।
गौतम गंभीर और सुमित नरवाल ने दिया ध्यान
दिल्ली के पूर्व ऑलराउंडर सुमित नरवाल ने करनाल प्रीमियर लीग टूर्नामेंट का आयोजन कराया। टूर्नामेंट के ट्रायल्स की फीस 400 रुपए थी और नवदीप सैनी को पैसों का अरेंजमेंट करने के लिए अपने पिता से झगड़ा करना पड़ा था। युवा तेज गेंदबाज ने नरवाल को ट्रायल्स में प्रभावित किया और उन्हें एकेडमी से जुड़ने का न्योता मिला। हालांकि, नवदीप से यह खुलासा नहीं किया कि उनके पास इस सपने को पूरा करने के लिए पैसे नहीं है। वह टूर्नामेंट के अगले एडिशन में फिर लौटे और एक बार फिर पूर्व दिल्ली के ऑलराउंडर का ध्यान खींचा। इस बाद सैनी ने बताया कि उनके पास पैसों की कमी है।
नरवाल ने सैनी की क्षमता पहचान ली थी और करनाल के करण स्टेडियम में ट्रेनिंग देने लगे। एक दिन नरवाल ने नवदीप सैनी को दिल्ली रणजी ट्रॉफी टीम के नेट सेशन से जुड़ने को कहा। भारतीय दिग्गजों से मिलने के मौके को पहचानते हुए नवदीप तैयार हो गए। तब भारतीय ओपनर और दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर को नवदीप ने गेंदबाजी की, जिसके बाद उनके करियर में सबसे बड़ा मोड़ आया।
गंभीर इस कदर नवदीप सै प्रभावित हुए कि उन्होंने डीडीसीए को राजी करके सैनी को दिल्ली रणजी ट्रॉफी टीम में जगह दिला दी। तब जाकर नवदीप सैनी को एहसास हुआ कि वह पेशेवर क्रिकेट खेल सकते हैं। उन्हें विश्वास होना शुरू हुआ कि वह उच्च स्तर पर सफल हो सकते हैं। हालांकि, डीडीसीए ने सैनी को बाहरी करार दिया और गंभीर की सलाह मानने से इंकार किया। इससे दिल्ली के कप्तान और डीडीसीए के बीच काफी विवाद हुआ। बाद में गंभीर की बात मानी गई और सैनी को दिल्ली रणजी ट्रॉफी टीम में जगह मिली।
यहां से नवदीप सैनी की जिंदगी पूरी तरह बदल गई। इसके बाद आईपीएल में उन्होंने आरसीबी के लिए कमाल का प्रदर्शन किया। फिर सीमित ओवर क्रिकेट में भारत के लिए शानदार डेब्यू किया। नवदीप सैनी ने जिस तरह मेहनत की, उससे वाकई लोगों को सीख मिल सकती है कि जिंदगी में कुछ भी पाना नामुमकिन नहीं है।