- जीत के लिए डिफेंडिंग चैंपियन पाकिस्तान ने ऑस्ट्रेलिया के सामने रखा था 192 रन का लक्ष्य
- 17.1 ओवर में 144 रन पर ऑस्ट्रेलिया ने गंवा दिए थे सात विकेट
- 24 गेंद पर 60 रन की नाबाद पारी खेलकर हसी ने दिलाई थी ऑस्ट्रेलिया को ऐतिहासिक जीत
नई दिल्ली: दस साल पहले वेस्टइंडीज की मेजबानी में खेले गए तीसरे टी20 विश्व कप का दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला डिफेंडिंग चैंपियन पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था। शाहिद अफरीदी की कप्तानी वाली पाकिस्तानी टीम जहां लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंचने की कोशिश कर रही थी। वहीं माइकल क्लार्क की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलिया पहली बार फाइनल में पहुंचने का ख्वाब संजोए बैठी थी। ऐसे में पाकिस्तान के सपने को एक कंगारू खिलाड़ी ने 24 गेंद पर नाबाद 60 रन की धमाकेदार पारी खेलकर तोड़ दिया था।
खेली थी टी20 विश्व कप इतिहास की सर्वश्रेष्ठ पारी
मिस्टर क्रिकेट के नाम से दुनियाभर में विख्यात कंगारू खिलाड़ी माइकल हसी की पहचान उस मैच से पहले एक टेस्ट प्लेयर की थी लेकिन उन्होंने ठंडे दिमाग और अनुभव के आधार पर जो पारी खेली थी उसे आज एक दशक बाद भी टी20 विश्व कप की सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक माना जाता है।
ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग का फैसला किया था। ऐस में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए धमाकेदार अंदाज में कामरान अकमल 50(34) , उमर अकमल 56(35)और सलमान बट्ट 32(30) की धमाकेदार पारियों की बदौलत निर्धारित 20 ओवर में 191/6 रन का स्कोर खड़ा किया और ऑस्ट्रेलिया को जीत के लिए 192 रन का लक्ष्य मिला।
जीत के लिए मिला था 192 रन का लक्ष्य
लक्ष्य का पीछा करने उतरी कंगारू टीम की शुरुआत अच्छी नहीं रही। पाकिस्तानी गेंदबाजों मोहम्मद आमिर और अब्दुर रहमान ने कहर ढाते हुए ऑस्ट्रेलिया को बैकफुट पर ढकेल दिया। महज 105 रन के स्कोर पर वह पांच विकेट गंवा चुका था। इसके बाद कैमरून व्हाइट और माइकल हसी की जोड़ी ने पारी को आगे बढ़ाया लेकिन 17वें ओवर की तीसरी गेंद पर व्हाइट भी 43 रन की पारी खेलकर चलते बने और पूरी जिम्मेदारी हसी के कंधों पर आ गई।
18 गेंद में जीत के लिए चाहिए थे 48 रन
अंतिम तीन ओवर में जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को 48 रन की दरकार थी। वहीं पाकिस्तान को जीत के लिए तीन विकेट चाहिए थे। ऐसे में अफरीदी ने गेंद सईद अजमल के हाथों में थमा दी जिसकी गेंदों पर रन बना पाना मुश्किल नजर आ रहा था। ऐसे में उन्होंने 18वें ओवर की पहली ही गेंद पर स्टीव स्मिथ को आउट कर कप्तान के विश्वास को सही साबित कर दिया। बतौर स्पिनर खेल रहे स्टीव स्मिथ भी तब युवा खिलाड़ी थे और जब वो आउट हुए तब स्कोर 17.1 ओवर में 7 विकेट पर 144 रन हो चुका था।
हसी ने अकेले संभाला था मोर्चा
स्मिथ के आउट होने के बाद हसी ने मोर्चा संभाला और मिचेल जॉनसन ने उनका अच्छी तरह साथ दिया दोनों ने मिलकर इस ओवर में 14 रन जड़ दिए। जिसमें जॉनसन के बल्ले से चौका और हसी के बल्ले से निकला छक्का भी शामिल था। साथ ही स्ट्राइक भी हसी अपने पास रखने में सफल रहे। अंतिम 12 गेंद में जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को 34 रन की दरकार थी। ऐसे में अफरीदी ने तीन ओवर में तीन विकेट झटक चुके मोहम्मद आमिर पर भरोसा जताया। लेकिन हसी ने इस ओवर में आमिर की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने छह गेंद पर ( 4, 2, 2lb, 2, 2, 4) 16 रन जड़ दिए और ऑस्ट्रेलिया को जीत के करीब पहुंचा दिया।
सईद अजमल के उड़ा दिए छक्के
अंतिम ओवर में जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को 18 रन बनाने थे और स्ट्राइक पर मिचेल जॉनसन थे। जॉनसन ने सूझबूझ का परिचय देते हुए पहली ही गेंद पर एक रन लिया और स्ट्राइक हसी को दे दी। इसके बाद अजमल की दूसरी और तीसरी गेंद पर लगातार दो छक्के जड़ दिए। इसके बाद चौथी गेंद को चौके के लिए बाउंड्री के पार पहुंचा दिया। अंतिम दो गेंद पर जीत के लिए ऑस्ट्रेलिया को 1 रन चाहिए थे और हसी ने शानदार अंदाज में मिड ऑन की दिशा में छक्का जड़कर ऑस्ट्रेलिया को पहली बार टी20 विश्व कप के फाइनल में पहुंचा दिया।
हसी ने इस मैच के दौरान 24 गेंद का सामना किया और नाबाद 60 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 3 चौके और 6 छक्के जड़े। उनका स्ट्राइक रेट 250 का रहा। 18वें ओवर की शुरुआत में वह 16 (11) रन बनाकर खेल रहे थे तब किसी को यकीन नहीं था कि हसी इस तरह नाटकीय अंदाज में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी खेलकर पाकिस्तान के जबड़े से जीत छील लेंगे। लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया और ये बता दिया कि बेवजह ही उन्हें मिस्टर क्रिकेट के खिताब से नहीं नवाजा गया।