- श्रीलंका की मेजबानी में इस बार होना है एशिया कप 2022 का आयोजन
- निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक 27 अगस्त से 11 सितंबर के बीच टी20 फॉर्मेट में होगा टूर्नामेंट
- मौजूदा आर्थिक संकट और विरोध प्रदर्शन के बीच इसके आयोजन पर मंडराने लगे हैं संकट के बादल
नई दिल्ली: हाल ही में एशियाई क्रिकेट काउंसिल की बैठक में एशिया कप 2022 के आयोजन की मेजबानी में आयोजन पर मुहर लगी थी। इसका आयोजन 27 अगस्त से 11 सितंबर के बीच होना था लेकिन श्रीलंका में हाल में उपजे आर्थिक संकट और देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की वजह से इसके आयोजन पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
कोरोना की वजह से पिछले दो साल से ऐसे ही इस टूर्नामेंट का आयोजन नहीं हो सका था। ऐसे में श्रीलंका के आर्थिक संकट ने एक बार फिर टूर्नामेंट के आयोजन पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। ऐसे में श्रीलंका के पूर्व कप्तान और राजनेता अर्जुन रणतुंगा ने टूर्नामेंट के श्रीलंका में आयोजन को लेकर बड़ा बयान दिया है।
गैर-पेशेवर हैं श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड के अधिकारी
रणतुंगा ने कहा, मैं नहीं जानता कि क्या कहा चाहिए, जो लोग यहां(श्रीलंका में) क्रिकेट का संचालन करते हैं वो बेहद गैर-पेशेवर हैं। मैं आशा और प्रार्थना करता हूं कि देश के लिए एशिया कप का आयोजन यहां हो जाए। इसका आयोजन अब पूरी तरह दूसरे देशों पर निर्भर है क्योंकि वो यहां की परिस्थितियों के मद्देनजर कोई निर्णय करेंगे।
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प्रदर्शनकारियों को नहीं है क्रिकेट मैच के आयोजन पर आपत्ति
उन्होंने आगे कहा, मुझे नहीं लगता है कि विरोध प्रदर्शन करने वालो को क्रिकेट मैचों के आयोजन पर कोई आपत्ति है। उन्हे सरकार से परेशानी है वो टूर्नामेंट के आयोजन पर किसी तरह की बाधा नहीं डालेंगे। लेकिन क्रिकेट प्रशासन में हमारे यहां जो लोग हैं वो बेहद गैर-पेशेवर हैं। उन्होंने क्रिकेट बोर्ड को बर्बाद करके रख दिया है। मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि वो लोग इस स्थिति को कैसे संभालेंगे।
स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं है मौजूदा सरकार
उन्होंने आगे कहा कि अगर कुछ पूर्व खिलाड़ी टूर्नामेंट के आयोजन के लिए फंड मुहैया कराने का प्रस्ताव देते हैं तो भी सरकार के लोग उसका उपयोग अपने फायदे के लिए कर लेंगे। उन्होंने कहा, अगर कुछ पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी अपनी ओर से मदद के प्रस्ताव भी देते हैं तो मुझे डर है कि वो पैसा भी सरकार के लोग अपने फायदे के लिए खर्च कर देंगे। इन मैचों के आयोजन से आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं होने वाला है। क्योंकि हमें मौजूदा आर्थित संकट से उबरने के लिए बहुत बड़ी राशि चाहिए। मौजूदा सरकार इस स्थिति से निपटने में अक्षम है।