- रिषभ पंत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रगति से काफी खुश हैं आशीष नेहरा
- नेहरा ने कहा कि पंत की शुरुआती यात्री एमएस धोनी की याद दिलाती है
- नेहरा ने कहा कि धोनी ने हमेशा मौकों का फायदा उठाया
नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज आशीष नेहरा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक रिषभ पंत की प्रगति से काफी प्रभावित हैं। पंत ने 2017 में भारतीय टीम के लिए डेब्यू किया था, लेकिन 2018 में इंग्लैंड दौरे के बाद खब्बू बल्लेबाज को राष्ट्रीय टीम में लगातार मौके मिले। पंत में निरंतरता की कमी नजर आई, लेकिन इसके बावजूद टीम प्रबंधन ने भविष्य में चमकने के लिए हमेशा उनका समर्थन किया।
नेहरा युवा विकेटकीपर बल्लेबाज पंत के लिए इस बात से खुश हैं कि उनकी अब तक तुलना दिग्गज एमएस धोनी से होती आई है। धोनी की शुरुआत भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बहुत प्रभावी नहीं हुई थी, लेकिन लीडरशिप ने उन्हें जिम्मेदार व्यक्ति बना दिया था। अब 38 साल के हो चुके धोनी को भारतीय क्रिकेट के सबसे बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक माना जाता है।
पंत ने दिलाई धोनी की याद
आशीष नेहरा के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने कहा, 'मैं किसी को भी विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में एमएस धोनी के करीब रिषभ पंत के अलावा किसी को पहुंचते नहीं देखता। पंत की यात्रा शुरू हुई है। उनके शुरुआती दिन मुझे काफी हद तक धोनी की याद दिलाते हैं।' धोनी के भारतीय टीम में आने से पहले राहुल द्रविड़ ने विकेट के पीछे की जिम्मेदारी संभाल रखी थी। दिनेश कार्तिक और पार्थिव पटेल को भी मौके दिए गए। हालांकि, टीम इंडिया के लिए ये दोनों विकेटकीपर उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। नेहरा का मानना है कि धोनी सर्वश्रेष्ठ कीपर नहीं थे, लेकिन वह बेहतर विकेटकीपर बल्लेबाज थे।
मौके का फायदा उठाया
नेहरा ने कहा, 'दिनेश कार्तिक काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी थे, जिनके पास बेहतर तकनीक भी थी। मगर धोनी ने वो किया जो कार्तिक और पटेल नहीं कर सके। माही ने मौकों का फायदा उठाया। धोनी भले ही बेहतरीन बल्लेबाज या तकनीकी विकेटकीपर न नजर आते हों, लेकिन वह विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में बेस्ट थे।'
कार्तिक और पटेल दावेदारों में शामिल रहे, लेकिन एमएस धोनी विकेटकीपर की पहली पसंद बन गए। 15 साल पहले धोनी ने पाकिस्तान के खिलाफ 123 गेंदों में 148 रन की पारी खेली। फिर श्रीलंका के खिलाफ 183 रन की पारी खेली। नेहरा ने कहा कि भारतीय क्रिकेट में पाकिस्तान के खिलाफ धोनी की पारी ज्यादा महत्व वाली रही। नेहरा ने बताया कि धोनी का विश्वास ही उनकी ताकत रहा और टीम को महसूस हुआ कि उन्हें एक नियमित विकेटकीपर बल्लेबाज मिल गया है। धोनी अब अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर हैं जबकि पंत अब भी अपनी जगह स्थापित करने में जुटे हुए हैं।