नई दिल्ली: सचिन तेंदुलकर मंगलवार को एक बार फिर उन यादों में खो गए जिसके लिए उन्हें क्रिकेट खेलना शुरू किया था। विश्व कप जीतना सचिन तेंदुलकर की सबसे बड़ी ख्वाहिश थी और साल 2011 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में उन्होंने अपने सपने को पूरा होते हुए देखा। विश्व चैंपियन बनने के बाद सचिन ने कहा था कि सपने पूरे होते हैं इस सपने को पूरा होता देखने के लिए मुझे 20 साल लंबा इंतजार करना पड़ा। विश्व कप जीतने के बाद भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर को कंधों पर बैठाकर पूरे मैदान का चक्कर लगाया था। इस पल को खेलों का ऑस्कर कहे जाने वाले लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड मिला है। इस पल को 'कैरीड ऑन द शोल्डर्स ऑफ ए नेशन' शीर्षक के साथ दो दशक का 'लॉरियस सर्वश्रेष्ठ खेल क्षण' माना गया है।
जब टीम इंडिया विश्व चैंपियन बनी थी तब टीम इंडिया के मौजूदा कप्तान विराट कोहली टीम के सबसे युवा खिलाड़ी थे। सचिन तेंदुलकर को कंधे पर बैठाकर मैदान का चक्कर लगाने वाले खिलाड़ियों में वो भी शामिल थे। उन्होंने हरभजन सिंह के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी। जब विराट से सचिन को कंधे पर बैठाकर मैदान का चक्कर लगाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, उन्होंने 21 साल देश का बोझ अपने कंधों पर उठाया था अब ये वो वक्त है जब हम उन्हें अपने कंधों पर उठाएं।' जिस पल के लिए सचिन को पुरस्कार मिला है उस तस्वीर में विराट कोहली के कंधों पर सचिन बैठे हैं और हाथ में तिरंगा झंडा लिए हैं। तस्वीर में हरभजन सिंह, पीयूष चावला, यूसुफ पठान, सुरेश रैना और वीरेंद्र सहवाग नजर आ रहे हैं।
सचिन तेंदुलकर ने जब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा था तब लोगों के जेहन में ये सवाल थे के उनकी कमी को कौन पूरा करेगा तो विराट ने बल्ले से इसका जवाब दिया और प्रशंसकों को सचिन की बिलकुल भी कमी महसूस नहीं होने दी। आज सचिन के संन्यास लेने के 7 साल बाद स्थिति ऐसी है कि वो सचिन के कई बड़े रिकॉर्ड तोड़ चुके हैं और कई रिकॉर्ड तोड़ने की कगार पर पहुंच गए हैं। इससे तो ऐसा लगता है कि वाकई में विराट ने विश्व कप जीत के बाद सभी मायनो में देशवासियों की आशाओं वाला सचिन के कंधों पर 2 दशक तक रहा बोझ अपने कंधे पर ले लिया था।