- 1950-51 में सौराष्ट्र ने किया था रणजी ट्रॉफी में डेब्यू
- तीन टीमों के विलय से हुआ था सौराष्ट्र की टीम का गठन, इनमें से दो टीम बन चुकी थी रणजी चैंपियन
- पिछले सीजन में विदर्भ की टीम ने फाइनल में सौराष्ट्र को दी थी मात
राजकोट: जयदेव उनदकट की कप्तानी वाली सौराष्ट्र क्रिकेट टीम ने शनिवार को इतिहास के पन्नों में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज करा लिया। सौराष्ट्र की टीम साल 2018-19 के सीजन में भी फाइनल तक पहुंचने में सफल रही थी लेकिन खिताब अपने नाम नहीं कर सकी थी। ऐसे में एक साल बाद वो रणजी ट्रॉफी के विजेताओं की सूची में अपना नाम दर्ज कराने में सफल रही है।
ऐसे बनी थी सौराष्ट्र की टीम
सौराष्ट्र की टीम को पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जीतने में 70 साल लंबा वक्त लग गया। सौराष्ट ने पहली बार साल 1950-51 में रणजी ट्रॉफी में भाग लिया था। सौराष्ट्र की टीम के गठन का इतिहास भी बेहद रोचक है। इस टीम का गठन तीन टीमों के विलय से हुआ था। वेस्टर्न इंडिया स्टेट्स एजेंसी( वीसा), नवानगर और कठियावाड़ के विलय से सौराष्ट्र क्रिकेट टीम बनी थी। वीसा की टीम ने साल 1934-35 से 1945-46 तक रणजी ट्रॉफी में भाग लिया था। ये टीम 1943-44 सीजन में खिताबी जीत हासिल करने में सफल रही थी। वहीं नवानगर की टीम ने साल 1936-37 में अपने डेब्यू सीजन में ही खिताब अपने नाम कर लिया था। और 1937-38 में उपविजेता रही। इसके बाद ये टीम 1947-48 तक रणजी ट्रॉफी में खेलती रही। वहीं कठियावाड़ की टीम ने साल 1946-47 से 1949-50 तक रणजी ट्रॉफी में भाग लिया लेकिन कोई खिताब अपने नाम नहीं कर सकी।
पहले भी बंगाल को दी थी मात
वीसा और नवानगर की टीमों की खिताबी जीत और सौराष्ट्र की जीत में एक रोचक समानता है कि तीनों ही टीमों ने फाइनल में बंगाल को मात देकर खिताब अपने नाम किया था। वीसा ने 1943-44 में और नवानगर ने 1936-37 में बंगाल को मात देकर खिताब जीता था। ऐसे में सौराष्ट्र ने भी बंगाल को मात देकर खिताबी जीत हासिल की है। ऐसे में कुल मिलाकर देखा जाए तो ये सौराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाली टीम का ये तीसरा रणजी खिताब है।
चौथी बार फाइनल में पहुंची थी विदर्भ
विदर्भ की टीम चौथी बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची थी। साल 2012-13 और 2015-16 में उसे मुंबई के खिलाफ फाइनल में हार का मुंह देखना पड़ा था। वहीं साल 2018-19 में विदर्भ ने उन्हें जीत नहीं हासिल करने दी थी। फाइनल में चौथी बार फाइनल में खेलते हुए सौराष्ट्र की टीम को मायूस नहीं होना पड़ा है।