- शेन वॉर्न का टीम इंडिया के कोच राहुल द्रविड़ पर बड़ा बयान
- वॉर्न ने कोच द्रविड़ की भूमिका पर भी अपनी बात रखी
- पूर्व दिग्गज स्पिनर ने टीमों में लेग स्पिनर्स की कमी पर भी नाराजगी जताई
आस्ट्रेलिया के दिग्गज स्पिनर शेन वॉर्न (Shane Warne) का मानना है कि राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid) भारतीय टीम को मजबूती प्रदान करेंगे लेकिन उनकी मुख्य भूमिका पांरपरिक कोच की नहीं ‘मानव प्रबंधक’ की होगी। वार्न ने पीटीआई से साक्षात्कार में कहा, ‘‘राहुल द्रविड़ टीम में कई नयी चीजें जोड़ेंगे। वह शानदार क्रिकेटर और बहुत अच्छे इंसान हैं। मुझे लगता है कि वह टीम को अधिक मजबूत बनाएंगे।’’
शेन वॉर्न ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह टीम में काफी कुछ रणनीतिक कौशल जोड़ेंगे जो कि अच्छा है। राहुल भारतीय क्रिकेट के लिये शानदार हैं।’’ वार्न ने हालांकि इस पर भी अपनी बात रखी कि वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कोच की भूमिका को किस तरह से देखते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कोच। यह वह शब्द है जो मुझे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पसंद नहीं है। कोच घरेलू क्रिकेट में वास्तव में महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में, उन्हें कोच नहीं मैनेजर कहा जाना चाहिए।’’
स्पिन गेंदबाजों की कमी पर नाराजगी
एक जमाना था जबकि आस्ट्रेलिया के पास वार्न जबकि भारत के पास अनिल कुंबले और पाकिस्तान के पास मुश्ताक अहमद जैसे विश्वस्तरीय लेग स्पिनर थे लेकिन पिछले डेढ़ दशक में कलाई के स्पिनरों की भूमिका कम हुई है और इस बीच केवल पाकिस्तान के यासिर शाह ही अपनी छाप छोड़ पाये। वार्न ने माना कि यह कमजोर कप्तानी के कारण टेस्ट स्तर पर अधिक लेग स्पिनर नहीं आ पा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आपको ऐसा व्यक्ति चाहिए जो स्पिन गेंदबाजी का महत्व समझे। लेग स्पिन गेंदबाजी करना आसान नहीं है।’’ वार्न ने कहा, ‘‘ यह एक मुश्किल कौशल है। यह ऐसी कला है जिसे कप्तान और कोच खेल से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति से प्रोत्साहन की आवश्यकता है। क्षेत्ररक्षण की सजावट इतनी महत्वपूर्ण होती है कि मैं इसे व्यक्त तक नहीं कर सकता और कई कप्तान इसे गलत समझते हैं।’’
स्पिनर्स का अच्छे से सामना नहीं कर रहे बल्लेबाज
वार्न का इसके साथ ही मानना है कि वर्तमान पीढ़ी के बल्लेबाज बेहतर स्पिन गेंदबाजी का सामना नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप वर्तमान समय के खेल पर गौर करो तो बल्लेबाजों को तेज गेंदबाजों के बाद कई स्पिनरों का सामना करना पड़ रहा है और वे आसानी से उनसे पार पा लेंगे जबकि नब्बे के दशक के बल्लेबाजों के मामले में ऐसा नहीं था।’’