- बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगली आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं
- गांगुली ने 1992 में ऑस्ट्रेलिया में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था अंतरराष्ट्रीय डेब्यू
- उन्होंने बड़े रोचक अंदाज में तय किया है रणजी डेब्यू से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष बनने तक का सफर
नई दिल्ली: प्रिंस ऑफ कोलकाता के नाम से मशहूर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव चंडीदास गांगुली आज अपना 48 वां जन्मदिन मना रहे हैं। 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में जन्मे गांगुली का टीम इंडिया के कप्तान से लेकर बीसीसीआई अध्यक्ष पद तक का सफर किसी रोलरकोस्टर राइड से कम नहीं रहा है। टीम इंडिया को मैच फिक्सिंग के दलदल से बाहर निकालने वाले, साथ ही टीम को कभी हार न मानने वाला एटीट्यूड सिखाने वाले गांगुली को हमेशा एक जुझारू कप्तान के रूप में याद किया जाएगा जिसने किक्रेट की दुनिया में भारत को स्थापित किया।
युवा टैलेंट्स को मौका देना हो या अपनी दादागिरी से विरोधियों को भौचक्का करना हो या फिर विदेशी सरजमीं पर टीम को जीत हासिल करना सिखाना हो, दादा ने भारतीय किक्रेट को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का हर वो काम किया है जो उनसे पहले तक कोई नहीं कर पाया। तो आइए 'गॉड ऑफ ऑफसाइड' के 48 वें जन्मदिन के मौके पर उनकी जिंदगी से जुड़ी 10 रोचक बातें जानते हैं जो शायद बेहद कम लोगों को ही पता हैं।
1. सौरव गांगुली का पहला प्यार किक्रेट नहीं बल्कि फुटबॉल था। दादा ने 14 साल की उम्र तक अपने स्कूल के लिए फुटबॉल खेला था, लेकिन अपने बड़े भाई स्नेहाशीष गांगुली के कहने पर उन्होंने किक्रेट खेलने की शुरूआत की। गांगुली इंडियन सुपर लीग की टीम एटलेटिको डि कोलकाता क्लब के सह-मालिक भी हैं।
2. सौरव गांगुली अपना सारा काम दांए हाथ से करते हैं लेकिन अपने बड़े भाई की किक्रेट किट को इस्तेमाल कर सकें इसलिए उन्होंने बाएं हाथ से बल्लेबाजी करने की शुरूआत की और बाएं हाथ के सबसे सफल खिलाड़ियों में अपना नाम शुमार कराया।
3. रणजी ट्रॉफी में डेब्यू की उनकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उन्हें बंगाल की टीम में जगह तब मिली जब उनके भाई को खराब खेल के कारण ड्रॉप किया गया।
4. आक्रमक खेल शैली के कारण गांगुली को टीम इंडिया में खेलने का मौका 1992 में ही मिल गया था लेकिन डेब्यू वनडे मैच में वेस्ट इंडीज के खिलाफ छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने आये गांगुली केवल 3 रन ही बना सके। जिसके बाद टीम से उन्हें बाहर कर दिया गया। इसकी एक बड़ी वजह उनका अड़ियल रवैया भी माना जाता है। खबरों की माने तो उन्होंने उस वक्त के कप्तान के लिए मैदान पर पानी ले जाने से इनकार कर दिया था हालांकि गांगुली ऐसी खबरों को नकारते रहे हैं।
5. टीम से ड्रॉप होने के बाद गांगुली ने अपने घर पर बॉलिंग मशीन लगवाई। नतीजा ये हुआ कि घरेलू किक्रेट में उन्होंने ताबड़तोड़ रन बनाए जिसके बाद 1996 में उन्हें टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व करने का दूसरा मौका मिला।
6. इस दौरे में संयोग की बात यह रही की कप्तान अजहर से नोक-झोंक के कारण नवजोत सिंह सिद्धू इंग्लैंड दौरा बीच में छोड़कर घर वापस आ गए, जिसके कारण गांगुली को टेस्ट में पहली बार खेलने का मौका मिला और लॉर्ड्स के मैदान पर शतक ठोककर उन्होंने टीम में अपनी जगह पक्की कर ली।
7. गांगुली को वैसे तो घरवाले प्यार से महाराज बुलाते हैं लेकिन 'प्रिंस ऑफ कोलकाता' नाम उन्हें इंग्लैंड के पूर्व कप्तान और कॉमेंटेटर जेफ्री बॉयकॉट ने दिया, वहीं राहुल द्रविड़ ने उन्हें पहली बार 'गॉड ऑफ द ऑफसाइड' कहा था।
8. सौरव और डोना की शादी किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है। दोनों बचपन से एक दूसरे को जानते थे और दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदल गई ये उन्हें भी नहीं पता। हालांकि दोनों परिवार एक दूसरे को जानते थे लेकिन किसी मनमुटाव के कारण दोनों का प्यार परवान नहीं चढ़ पा रहा था। 1996 में इंग्लैंड से लौटने के बाद दादा ने विद्रोही तेवर दिखाया और गुप-चुप तरीके से डोना से शादी कर ली। दोनों के परिवार को मीडिया के जरिए इस शादी की खबर लगी।
9. सौरव और डोना ने दूसरी और आधिकारिक शादी 21 फरवरी 1997 को परिवार वालों की रजामंदी और मौजूदगी में की। 3 नवंबर 2001 को उनके यहां एक बेटी ने जन्म लिया जिसका नाम सौरव और डोना के नाम को मिलाकर सना रखा गया।
10. यह बात तो सभी जानते हैं कि गांगुली ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में डेब्यू किया था मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि अजहरुद्दीन ने अपने करियर का आखिरी मैच रॉयल बंगाल टाइगर की कप्तानी में खेला था।