- जहीर खान ने लिए थे 2011 विश्व कप में 21 विकेट
- साझा रूप से रहे थे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज
- पाकिस्तान के तत्कालीन कप्तान शाहिद अफरीदी ने भी लिए थे 21 विकेट
नई दिल्ली: महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने 28 साल बाद वनडे विश्व कप पर कब्जा किया था। मुंबई में खेले गए फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम ने कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और गौतम गंभीर की धमाकेदार पारियों की बदौलत 6 विकेट से जीत हासिल कर खिताब अपने नाम किया था। ऐसे में 9 साल बाद सुरेश रैना ने भारतीय टीम की उस ऐतिहासिक सफलता में गेंदबाजों के योगदान को याद किया और एक खिलाड़ी को 2011 विश्व कप में शानदार प्रदर्शन के लिए गेंदबाजी का सचिन तेंदुलकर तक करार दे दिया।
गेंदबाजी के तेंदुलकर थे जहीर
समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए 34 वर्षीय सुरेश रैना ने कहा, साल 2011 की विश्व विजय को हम हर साल होली दीवाली की तरह सेलिब्रेट करते हैं। उन्होंने भारत की जीत के लिए बांए हाथ के तेज गेंदबाज जहीर खान को भी श्रेय दिया। रैना ने कहा कि जहीर ने टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया था और वो गेंदबाजों का सामने से नेतृत्व कर रहे थे। रैना ने कहा, हम जो भी निर्णय ले रहे थे वो हमारे पक्ष में जा रहे थे। जहीर भाई गेंदबाजों का नेतृत्व कर रहे थे। हर कोई भारत के मजबूत बल्लेबाजी क्रम की बात कर रहा था लेकिन मेरा मानना है कि वो गेंदबाजों के सचिन तेंदुलकर थे।'
सबसे सफल गेंदबाज रहे थे जहीर
उन्होंने जहीर की तारीफ करते हुए कहा, कप्तान ने जब भी उनके हाथ में गेंद थमाई उन्होंने टीम को सफलता दिलाई। इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा योगदान युवराज सिंह ने किया और उन्होंने विकेट लेकर हमारे लिए मैच खत्म किए।' जहीर खान विश्व कप 2011 में साझा रूप से शाहिद अफरीदी के साथ सबसे सफल गेंदबाज रहे थे। दोनों ने 21-21 विकेट अपने नाम किए थे। जहीर ने 9 मैच में 18.76 के औसत से ये 21 विकेट हासिल किए थे।
ड्रेसिंग रूम में थी खामोशी
फाइनल में श्रीलंका द्वारा जीत के लिए दिए 275 रन के चुनौतीपूर्ण स्कोर दिए जाने के बाद भारत ने जल्दी दो विकेट गंवा दिए थे। ऐसे में ड्रेसिंग रूम के माहौल के बारे में रैना ने बताते हुए कहा, श्रीलंका ने हमारे सामने चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा किया था बावजूद इसके ड्रेसिंग रूम में सब शांत थे। कोई शावर ले रहा था तो कोई आईसबाथ, कोई खा रहा था। हालांकि हर कोई ट्रॉफी जीतने के बारे में सोच रहा था हर कोई अपने जोन में था और कोई किसी से बात नहीं कर रहा था।'
उन्होंने आगे कहा, हर किसी का एक ही लक्ष्य था ट्ऱॉफी जीतना, जब सचिन पाजी आउट हुए तो पूरे स्टेडियम में खामोशी छा गई लेकिन हम शांत रहे। आपने देखा होगा कि जब सहवाग आउट हुए और गंभीर बल्लेबाजी के लिए गए तो उनके अंदर कितना आत्मविश्वास दिखाई दे रहा था। उनकी बॉडी लैंग्वेज देखकर मुझे लगा कि वो हमारे लिए विश्व कप जीतेंगे। युवराज से पहले बल्लेबाजी करने आए धोनी ने 91 रन बनाए थे। ये बड़ा निर्णय था लेकिन जब धोनी ने कर्स्टन से कहा था कि वो मुरलीधरन को बेहतर तरीके से खेल सकते हैं। मुझे अच्छी तरह आज भी सबकुछ याद है।'